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३३० ज्ञानार्णवः
[१८.९९993 ) मुक्तेरविप्लुतेवोक्ता गतिऋज्वी जिनेश्वरैः।
तत्र मायाविभिः स्थातुं न स्वप्ने ऽप्यस्ति योग्यता ।।९९ 994 ) व्रती निःशल्य एव स्यात् सशल्यो वृत्तघातकः ।।
माया शल्यं मता साक्षात् सूरिभिभूरिभीतिदम् ॥१०० 995 ) इहाकीर्ति समादत्ते मृतो यात्येव दुर्गतिम् ।
मायाप्रपञ्चदोषेण जनो ऽयं जिमिताशयः ॥१०१ लज्जिताः । ते के । ये केचित्तपोभिर्लोकद्वयहितम् इहपरलोकहितं कतुम् उद्यताः सावधानाः । इति सूत्रार्थः ।।१८।। अथ माया मुक्तेः कारणं नेत्याह ।
___993 ) मुक्तेरविप्लुता-जिनेश्वरैः मुक्तेः ऋज्वी सरला गतिः च उक्ता। चकारः पादपूरणार्थः । कीदृशैः । *अविद्रुतैनिर्मलैः। तत्र ऋजुगत्यां माया विनिस्थातु स्वप्ने ऽपि योग्यता नास्ति । इति सूत्रार्थः ॥९९||अथ पुनर्मायाशल्यस्य दुःखदायित्वमाह ।
994 ) व्रती-व्रती चारित्रयुक्तः निःशल्य एव स्यात् । सशल्यो व्रतघातकः । माया शल्यं मतं कथितम् । कैः । सूरिभिः । भूरिभीतिदं बहुभयदमिति सूत्रार्थः ॥१००|| अथ मायाजनितदोषमाह ।
995 ) इहाकीति-अयं जनो लोकः इह जगति अकीर्तिम् अयशः समादत्ते गृह्णाति । मृतो यात्येव गच्छत्येव । दुर्गति नरकादिगतिम् । केन । मायाप्रपञ्चदोषेण मायाविस्तारदोषेण । कोदृशो जनः । जिमिताशयः कुटिलचित्तः। इति सूत्रार्थः ।।१०१॥ अथ मायाकृतं प्रगटयत्येवेत्याह । कार्यकारी नहीं होती। इसीलिए जो जीव दूसरोंको धोखा देने के लिए व्रत-संयमादिका परिपालन करते हैं वे वस्तुतः दूसरोंको धोखा नहीं देते, बल्कि अपने आपको ही धोखा देते हैं । इसके लिए उन्हें लज्जा आनी चाहिए ॥९८।।
__जिनेन्द्र देवने मुक्तिकी गति-मोक्षमार्गका अनुष्ठान-निरुपद्रव और सरल (कुटि. लतासे रहित ) बतलाया है। इसलिए वहाँ कपटी मनुष्योंको स्थित होनेके लिए स्वप्न में भी योग्यता नहीं है। तात्पर्य यह है कि मायाचारी जन सरलतापूर्ण मोक्षमार्गका अनुष्ठान कभी भी नहीं कर सकते हैं ।।१९||
___ जो माया, मिथ्या और निदान इन तीन शल्योंसे रहित होता है वही व्रती हो सकता है । इसके विपरीत जो इन शल्योंसे सहित होता है वह समीचीन चारित्रको नष्ट ही करता है । आचार्योंने मायाकषायको प्रत्यक्ष में ही अतिशय भयप्रद शल्य माना है ॥१००॥
___ अन्तःकरणमें कुटिलताको धारण करनेवाला यह मनुष्य मायाव्यवहारके दोषसे इस लोकमें अपकीर्तिको ग्रहण करता है तथा मर करके परलोकमें नरकादि दुर्गतिको प्राप्त होता है ॥१०१॥
मायाविनां ।
१. All others except P M N प्लुतैश्चोक्ता। २. All others except PM ३. All others except PF वतघातकः । ४. All others except P मतं ।
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