Book Title: Gyanarnav
Author(s): Shubhachandra Acharya, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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४३९
२५. ध्यानविरुद्धस्थानानि 1274 ) दैन्यशोकसमुत्त्रासरोगपीडार्दितात्मसु ।
वधबन्धनरुद्धेषु याचमानेषु जीवितम् ।।८ 1275 ) क्षुत्तश्रमाभिभूतेषु शीताद्यैव्यथितेषु च ।
अवरुद्धेषु निस्त्रिशैर्घात्यमानेषु निर्दयैः ॥९ 1276) ) मरणार्तेषु भूतेषु यत्प्रतीकारवाञ्छया ।
अनुग्रहमतिः सेयं करुणेति प्रकीर्तिता ।।१०॥ अथै मुदिता1277 ) तपाश्रुतयमोद्युक्तचेतसां ज्ञानचक्षुषाम् ।
विजिताक्षकषायाणां स्वतत्त्वाभ्यासशालिनाम् ॥११
__1274 ) दैन्यशोक-एतेषु जीवेषु करुणादयादैन्यशोकसमुत्त्रासरोगपीडार्दितात्मसु दीनताशोकभयरोगवेदनापीडितात्मसु । पुनः । वधबन्धनरुद्धेषु । पुनः । जीवितं याचमानेषु । इति सूत्रार्थः ।।८।। अथ पुनस्तदेवाह।
_1275 ) क्षुत्त श्रमाभिभूतेषु- एतादृशेष्वपि करुणा कार्या। क्षुत्तृट्श्रमाभिभूतेषु क्षुधातृष्णाश्रमाभिभूयमानेषु शीताद्यैर्व्यथितेषु पीडितेषु । पुनः कीदृशेषु। निस्त्रिंशैनिर्दयैरवरुद्धेषु। निर्दयं *यात्यमानेषु पीड्यमानेषु करुणा विधेया । इति सूत्रार्थः ।।९।। अथ करुणालक्षणमाह ।
1276 ) मरणार्तेषु-सा इयं करुणा इति प्रकीर्तिता कथिता। भूतेषु प्राणिषु मरणार्तेषु यत् प्रतीकारवाञ्छया उपायवाञ्छया अनुग्रहमतिः प्रसादमतिः । इति सूत्रार्थः ॥१०॥ अथ मुदिता।
_1277 ) तपाश्रुत-ज्ञानचक्षुषां ज्ञाननेत्राणां मुदिता कार्या । कीदृशाम् । तपःश्रुतयमोद्युक्तचेतसां तपःश्रुतव्रतोपेतमनसां मुदिता विजिताक्षकषायाणां विनिजितेन्द्रियकषायाणां दृष्ट्वा मोदः कार्यः। स्वतत्त्वाभ्यासशालिनाम् आत्मस्वरूपाभ्यासमनोहराणाम् । इति सूत्रार्थः ॥११।। अथ पुनस्तदेवाह।
__करुणाभावना-दीनता, शोक, त्रास व रोगकी वेदनासे पीड़ित; वध व बन्धनसे रोके गये; जीवितकी याचना करनेवाले; भूख, प्यास व परिश्रमसे पराजित; शीत आदिकी बाधासे संयुक्त; दुष्ट जीवोंके द्वारा रोककर निर्दयतासे पीड़ित किये जानेवाले; तथा मरणकी वेदनासे व्यथित प्राणियोंके विषयमें उनकी पीड़ाके प्रतीकारकी इच्छासे जो अनुग्रहरूप बुद्धि हुआ करती है वह करुणा कही जाती है ।।८-१०।।
मुदिता (प्रमोद ) भावना-जिनका चित्त तप, शास्त्रपरिशीलन और व्रतमें उद्यत है; जो ज्ञानरूप नेत्रसे संयुक्त हैं, जिन्होंने इन्द्रियों व कषायोंको वशमें कर लिया है, जो आत्म
१. S K X Y R समुत्त्रासे। २. All others except P F X Y यात्यमानेषु, Xy पीड्यमानेषु । ३. All others except P निर्दयम् । ४. NTFR जीवेषु for भूतेषु । ५. PM अथ मुदिता ।
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