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[१] आड़ाई : रूठना : त्रागा
मुझे तो कितने ही जन्मों से लोगों ने मार मारकर सीधा कर दिया, तब जाकर मैं सीधा - सरल हो गया। जब मैं सीधा हो गया तब देखो, मुझे 'यह' ज्ञान मिल गया न ! यों तो मैं भी सीधा नहीं था । यानी यह पूरा ही जगत् सीधा करता है । जो सीधे नहीं हुए हैं, उन्हें भी कभी न कभी सीधा तो होना ही पड़ेगा न ? जबकि यह तो सफेद बाल आ जाने के बाद भी आड़ाई करता है अभी ! यह ऐसी-वैसी वंशावली नहीं है और फिर घर में भी आड़ाई करता है ।
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घर में बच्चे के मर जाने पर यह तो रोना-धोना मचा देता है कि मेरे बेटे का बेटा, इकलौता बेटा था ! ऐसे रोता है जैसे वह खुद कभी मरेगा ही नहीं न। क्या खुद नहीं मरेगा ? दादा बन गया फिर भी ? लेकिन फिर भी बेटे के बेटे के लिए रोता है । अरे जाने का समय आया, तो सीधा रह न ! जो दादा बन गया है, उसका जाने का समय नहीं हो गया होगा ? सिग्नल तो गिर चुका है ! दादा बना, तभी से सिग्नल गिर गया। फिर भी ऐसी बातें करता है जैसे खुद की गाड़ी जाएगी ही नहीं। तो यह सिग्नल गिर चुका है, इसलिए सावधान हो जाओ अब ज़रा।
प्रश्नकर्ता : गाड़ी जाने के संकेत आ गए हैं।
दादाश्री : हाँ, सिग्नल गिर चुका है। अब अच्छे से गाड़ी चलने की तैयारी है। अब सीधे होने की ज़रूरत है ।
आड़ाई कबूल करने से होगी आड़ाईयों की हार
ये आड़ाईयाँ क्या है ? आप बहुत समय से सब लोगों से कहते हैं
कि, 'अरे भाई, आड़ाई क्यों करते हो आप ?' या फिर आपको कोई कहे
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कि, आड़ाई क्यों करते हो?' पहचानते तो हो या नहीं पहचानते हो आड़ाई को ?
प्रश्नकर्ता : आड़ाई को तो पहचानते हैं न ! दादाश्री : कितने सालों से पहचानते हो ?
प्रश्नकर्ता : जब से समझने लगे तब से।