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आप्तवाणी-९
प्याला किसने गिराया?' यानी जब तक उसका पता नहीं चलेगा, तब तक उसका वहम जाएगा नहीं। यह जो ज्ञान मिला है, जब तक उसके विरुद्ध में दूसरा ज्ञान नहीं मिल जाता, तब तक ये भाई ऐसे के ऐसे ही रहते हैं और वहीं सुबह पाँच बजे कोई फ्रेन्ड आए कि, 'चंदूभाई उठिए।' तब चंदूभाई को हिंमत आ जाती है। क्या कहेंगे? कि 'मैं तो आज घबरा गया था।' उनका फ्रेन्ड कहे कि 'अंदर देखो तो सही, क्या है?' फिर जब देखता है तब पता चलता है कि यह तो चूहे ने गिरा दिया था, यह डिब्बा गिरा दिया था, यह प्याला गिरा दिया था, यह गिरा दिया वगैरह। यानी जो वहम घुसा हुआ था, वह निकल जाता है। यानी यह तो समझ बदलने के कारण नींद नहीं आती न! प्याला चूहे ने खड़खड़ाया लेकिन भूत का वहम घुस गया था, अतः वैसी समझ के कारण नींद नहीं आती है न? लेकिन जब वह वहम निकल जाए, खुद के पास ऐसी दवाई हो, तो पूरी रात नींद आएगी न? उससे इंसान सुखी हो जाएगा। थोड़ा बहुत भी समझे, तो वह सुखी हो जाएगा!
वह तो परमाणुओं के अनुसार अतः वहम होना, वह अंदर भरा हुआ माल है। जो वहमी है न, वह स्त्रीत्व माना जाता है। क्योंकि हर एक इंसान में ये तीन प्रकार के परमाणु होते हैं। एक स्त्री के परमाणु होते हैं, पुरुष के परमाणु होते हैं
और नपुंसक के परमाणु। इन तीनों प्रकार के परमाणुओं से यह शरीर बना हुआ है। उनमें से पुरुष के परमाणु अधिक होने से पुरुष के रूप में जन्म होता है। स्त्री के परमाणु अधिक हों तो स्त्री और नपुंसक के परमाणु अधिक हों तो वैसा हो जाता है। ये तीनों ही प्रकार के परमाणु अंदर कम-ज्यादा अनुपात में हैं ही। ये वहम, संदेह, शंका ये सब स्त्री के परमाणु हैं। उनसे हमें कहना है, 'हम पुरुष हैं, तू गेट आउट!' मुझमें ऐसे परमाणु नहीं हैं, इसलिए मुझे किसी भी जगह पर संदेह ही नहीं होता।
प्रेजडिस परिणामित शंका में
इंसान को शंका तो कभी भी नहीं करनी चाहिए। आँखों से देखा