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[७] खेंच : कपट : पोइन्ट मैन
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कि यह अनार था या क्या था? फुलझड़ी थी या तारामंडल था, ऐसा सब हमें लक्षण पर से पता चल जाता है! क्या फूट रहा है? अनार फूट रहा है या रॉकेट फूट रहा है या बम?
लेकिन अपने अक्रम ज्ञान के आधार पर यह मृतप्रायः अहंकार है इसलिए कभी न कभी निकल ही जाएगा। क्रमिक में तो जीवित अहंकार होता है और यहाँ अक्रम में मृतप्रायः अहंकार, वगैरह जो बचा है, वह ड्रामेटिक है। क्रोध-मान-माया-लोभ जो बचा है वह पूरा ड्रामेटिक है। वे कषाय बचे हैं, उनका अब निकाल लाना है।
कपट-चतुराई, बाधक मोक्षमार्ग में किसी ने गाली दे दी हो तो उसमें भी उस समय उसे कषाय घेर लेते हैं।
प्रश्नकर्ता : कषाय कैसे घेर लेते हैं ?
दादाश्री : बेसुध (मूर्च्छित) कर देते हैं। बेसुध कर देते हैं इंसान को, भान में ही नहीं रहता!
प्रश्नकर्ता : कषाय जाग्रत हुए हैं, ऐसा कैसे पता चलेगा? कौन से लक्षण से?
दादाश्री : क्यों? अहंकार आहत हो जाए तो पता नहीं चलेगा? कपट मूल गुण है उसमें । कपट यानी घोर अंधकार! कषायों में थोड़ाबहुत उजाला होता है।
प्रश्नकर्ता : इन सब को विस्तार से समझाइए। ये कपट, कषाय,
अहंकार.
दादाश्री : ये सभी रास्ते में रोकने वाली चीजें हैं। प्रश्नकर्ता : इसमें कपट किस तरह से परेशान करता है? दादाश्री : कपट सभी कुछ मीठा लगवाता है, हर कहीं भटकाता
है