Book Title: Aptvani 09
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 538
________________ [९] पोतापणुं : परमात्मा ४८७ मुझे कहाँ यह सब परेशानी है? अरे! कृष्ण भगवान घोड़े चलाते रहते हैं। हमें तो अंदर बैठे-बैठे देखते रहना है। भगवान कब संभालेंगे? वह तो जब आपोपुं छोड़ देगा तब इसलिए कृपालुदेव ने कहा है न, कि 'भगवत्, भगवत् का संभाल लेंगे लेकिन यदि आपोपुं छोड़ेंगे तो?' जब तक आपोपुं है तब तक भगवान की ज़िम्मेदारी नहीं है। पोतापणुं नहीं रहेगा तब भगवान की ज़िम्मेदारी है। हाँ, 'फुल' ज़िम्मेदारी उनकी! आपो जाने में तो बहुत टाइम लगेगा। यह तो दूसरे सभी बाहर के पड़ोसियों के साथ अभी निकाल तो करो। बाकी, आपोपुं जाने और भगवान होने में फर्क नहीं है। अंत में 'हमारा' आपोपुं गया इसलिए भगवान ने यह भार उठाया। अब हमें भार नहीं है। जब से हमारा आपोपुं गया तभी से उन्होंने अपने सिर पर भार ले लिया। तभी तो हम यह आनंद करते हैं न! और यह तो ऐसा है न, मैंने तो बहुत समय बाद किया और आपको तो आसानी से हो जाता है, इसलिए लाभ उठा लेना है। आखिर में तो आपोपुं जाएगा, तभी काम होगा। 'परमात्मा' होना और 'आपो जाना,' उन दोनों में फर्क नहीं है। यदि आपोपुं गया, तो वहाँ पर परमात्मा के अलावा और कुछ है ही नहीं। जय सच्चिदानंद

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