Book Title: Aptvani 09
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 539
________________ खेंच मूल गुजराती शब्दों के समानार्थी शब्द अटकण : जो बंधनरूप हो जाए, आगे नहीं बढ़ने दे शाता : सुख-परिणाम अशाता : दुःख-परिणाम आरा :: कालचक्र का बारहवाँ हिस्सा आड़ाई : अहंकार का टेढ़ापन ऊपरी : बॉस, वरिष्ठ मालिक कढ़ापा : कुढ़न, क्लेश अजंपा : अशांति : आग्रह पूरण-गलन : चार्ज होना, भरना-डिस्चार्ज होना, खाली होना गारवता : संसारी सुख की ठंडक में पड़े रहना घेमराजी : खुद के सामने दूसरों को तुच्छ समझना चलण : वर्चस्व, सत्ता, खुद के अनुसार सब को चलाना तायफा : फज़ीता, जान-बूझकर किसी को परेशान करने के लिए किया गया नाटक तरछोड़ : तिरस्कार सहित दुतकारना त्रागा : अपनी मनमानी करने या बात मनवाने के लिए किए जाने वाला नाटक धार्यु : मनमानी निर्जरा : आत्म प्रदेश में से कर्मों का अलग होना : अत्यंग राग अथवा द्वेष सहित लंबे समय तक याद रखना नियाणां : अपना सारा पुण्य लगाकर किसी एक चीज़ की कामना करना पुद्गल : जो पूरण और गलन होता है पोतापणां : मैं हूँ और मेरा है ऐसा आरोपण, मेरापन, खुदपना भोगवटा : सुख या दुःख का असर, भुगतना राजीपा : गुरुजनों की कृपा और प्रसन्नता रिसाल : जिसे दूसरों का रूठना दिखाई देता है लागणी : लगाव, भावुकतावाला प्रेम पोल : गड़बड़ निकाल : निपटारा उपाधि : बाहर से आने वाला दुःख और परेशानी नोंध

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