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[६] लघुतम : गुरुतम
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जाएगा? और भगवान वश हो चुके हैं उसकी 'गारन्टी' देता हूँ। उनसे कहता भी हूँ कि, 'आप यहाँ से खाली कीजिए न!' तब वे कहते हैं, 'कहाँ जाऊँ ? कोई जगह होगी तो मैं कहूँगा।' मैंने कहा, 'किसी के वहाँ चले जाएँ तो मुझे हर्ज नहीं है। अब बहुत दिन रह चुके आप यहाँ पर।' लेकिन ऐसी जगह होनी चाहिए न?! उसके लिए तो ममता रहित होना पड़ता है, अहंकार रहित होना पड़ता है, तब उस कमरे में भगवान आते हैं। ऐसा कमरा चाहिए। अच्छा कमरा नहीं चाहिए?
भगवान सभी के वश में हो सकते हैं। जिसमें अहंकार कम हो तो उसमें हर्ज नहीं, लेकिन जिनकी ममता जा चुकी है उन्हें भगवान वश हुए बगैर रहते ही नहीं। जिनकी संपूर्ण ममता चली गई है, भगवान उनके वश हुए बगैर नहीं रहते।
'जूनियर' के भी 'जूनियर' पूरी दुनिया में सिर्फ मैं ही 'जूनियर' हूँ। 'जूनियर' का 'जूनियर' बन जाए तो पूरे ब्रह्मांड का 'सीनियर' बन जाएगा। सिर्फ मैं ही 'जूनियर' हूँ। मुझे 'सीनियर' रखना है क्या आपको अब? मुझे भी 'सीनियर' रखना है ? तो 'जूनियर' हो सके ऐसा है।
प्रश्नकर्ता : हम तो अभी आपकी तुलना में छोटे बालक जैसे हैं।
दादाश्री : वह अलग तरह से है और मैं जो कहना चाहता हूँ वह अलग प्रकार से है क्योंकि लोगों को ऐसा लगता है कि ये गुरु हैं लेकिन नहीं, मैं गुरु नहीं हूँ। मैं लघुतम हूँ। लघुतम अर्थात् 'जूनियर।' ये सभी मुझसे 'सीनियर' हैं। पेड़-पौधे, सभी मुझसे 'सीनियर,' तो अब आपको 'जूनियर' रहना पसंद है या 'सीनियर' रहना?
प्रश्नकर्ता : यों तो 'जूनियर' के भी 'जूनियर' रहना पसंद है।
दादाश्री : हाँ, हाँ। उसमें लाभ है, तब फिर ‘सीनियर' के 'सीनियर' बन सकेंगे। जिसे 'जूनियर' का 'जूनियर' रहना है, वह 'सीनियर' का 'सीनियर' बन सकता है।