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[६] लघुतम : गुरुतम
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मैं कह देता हूँ कि मुझे नहीं आता क्योंकि मैं तो पहले पूछता हूँ और पूछकर फिर सीखता हूँ। मैं अपने आप यों ही अंधाधुंध नहीं करता।
___ इस 'रेज़र' के लिए भी मैं पूछता हूँ लेकिन उसमें उसे ही कोई 'टेकनिशियन' नहीं मिला होगा न! कि मुझे सिखाए कि यह ऐसे घुमाना है और वैसे घुमाना है। 'आ गया मुझे, सब पहुँच गया मेरे अंदर!' तू भी बेवकूफ और मैं भी बेवकूफ! और 'टेकनिशियन' के अलावा मैं किससे पूछू ? यह तो खुद दाल बनाकर बिगाड़ देता है। नाई नहीं मिले तब लोग तो कहते हैं, 'उसमें क्या है ?' तो खुद ही बाल काटने बैठ जाते हैं, ऐसे हैं ये लोग! 'अरे, ऐसे-ऐसे किया कि हो गया?' ऐसा होता तो यह कारीगरी कहलाती ही नहीं न! कला ही नहीं कहलाती न! ये सभी लोग जो कुछ भी सीखे हैं, वह कैसा है ? या अंधाधुंध
ही!
इन फॉरेनवालों ने मशीनरी बनाई है, वे जानते थे कि हिन्दुसतान के लोग विकल्पी हैं, बिगड़ नहीं जाना चाहिए इस तरह से बनाते हैं। वे लोग 'फैक्टर ऑफ सेफ्टी' रखते हैं! ये विकल्पी लोग हैं न! विकल्पी लोग नहीं होते न, तो 'फैक्टर ऑफ सेफ्टी' की इतनी ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन ये तो न जाने क्या ही दबा देते हैं। इन मकानों के काम में स्लेब भरने होते हैं, वहाँ भी 'फैक्टर ऑफ सेफ्टी' इतनी बढ़कार रखते हैं, नहीं तो लोग घर में अंधाधुंध भरेंगे और वह गिर जाएगा तो क्या होगा?! अरे, अंधाधुंध भरने पर भी मकान पचास सालों तक चले, उतनी तो 'फैक्टर ऑफ सेफ्टी' रखी होती है।
जो बहुत कंजूस होते हैं, वे ऐसा समझते हैं कि हमें 'रेज़र' बहुत अच्छी तरह से चलाना आता है ! तो वे पत्थर पर ब्लेड घिसते रहते हैं। अरे, नहीं है यह पत्थर पर घिसने जैसी चीज़! पत्थर का और इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसका उपयोग करना आए तो बहुत ग़ज़ब की चीज़ है। मैंने एक बार कहा कि 'मुझे इस ब्लेड का उपयोग करना नहीं आता, आपको भी नहीं आता। तो अब हम यह किससे पूछने जाएँ ? आप तो ब्लेड स्टेनलेस स्टील की लाते हो लेकिन मुझे उपयोग करना