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[६] लघुतम : गुरुतम
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लेना-देना? उसी तरह यह 'रिलेटिव' का 'डिवैल्यूएशन' करने में कोई नुकसान नहीं है। बल्कि निरा फायदा है। अरे, आनंद से रहते हैं और हम तो 'डिवैल्यूएशन' करके बैठे हैं इसलिए देखो कैसा मज़ा आता है !
अब मैं क्या कहता हूँ ? 'रिलेटिव' में आप जितना 'डिवैल्यू' होओगे, उतना ही 'रियल' में परमात्मा पद खिलेगा। एकदम आसान रास्ता है न? है कुछ इसमें मुश्किल? इसमें और कुछ नहीं समझना है। लघुतम आपको चिंता नहीं करवाता। जहाँ 'डिवैल्यूएशन' में उतरे, देखो न अब पैसों का 'डिवैल्यूएशन' कर दिया, तो है कोई चिंता पैसों की? पहले 'वैल्यूएशन' था, तो कितनी चिंता थी! रुपये बैंक में ले जाते थे, तब ऐसे घबराते थे कि 'जेब काट डालेंगे'। अभी तो कोई काटनेवाला नहीं और कुछ भी नहीं। कोई झंझट ही नहीं। 'डिवैल्यूएशन' हो जाए तो है कोई झंझट?
हाँ, पाँच अरब रुपये अपने पास हो, लेकिन अगर नीचे बैठना आया, इस तरफ से लघुतम होता गया कि उस और गुरुतम बन गया।
____ 'रिलेटिव' में जो लघुतम बनने का प्रयत्न करता है, वह आसानी से 'रियल' में गुरुतम हो जाता है, परमात्मा पद मिलता है। गुरुतम बनने के लिए कुछ करना नहीं होता। यानी व्यवहार में बात करनी हो तो कोई जीव मुझसे छोटा नहीं है और सभी से लघुतम मैं हूँ' ऐसा भान रहे तो बहुत हो गया। अब आप लघुतम बनोगे तभी आपको मूल पद प्राप्त होगा और तभी आपको भगवान पद प्राप्त होगा। अर्थात् जितना लघुतम, 'कम्प्लीट' लघुतम वह भगवान पद! यानी कि अगर आप 'रिलेटिव' में लघुतम बनने का प्रयत्न करोगे तो कुदरती रूप से 'रियल' में गुरुतम होते जाओगे और पूर्णत्व प्राप्त होगा। आत्मा की जो पूर्णत्व दशा है, वह कुदरती रूप से ही हो जाती है, 'एक्जेक्ट' अपने आप ही हो जाती है।
__ ध्येय, लघुतम पद का आपने लघुतम पुरुष देखे हैं इस दुनिया में? प्रश्नकर्ता : दादा खुद ही लघुतम है न!