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[२] उद्वेग : शंका : नोंध
लोगों को क्यों नोंध रखनी है ?! लेकिन तू तो तेरी पत्नी की नोंध रखता है तो फिर तेरी पत्नी तुझे छोड़ देगी क्या ? वह तो अच्छा हुआ कि इसने शादी नहीं की, नहीं तो वह भी फिर पत्नी की नोंध रखता न! हम कभी भी किसी की नोंध रखते ही नहीं न! और दूसरा, हम किसी और से किसी की बात नहीं करते ।
है ?
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भूलें खत्म करनी हैं, 'साइन्टिफिकली'
प्रश्नकर्ता: दादा, यह जो नोंध रखी जाती हैं, उसका कारण क्या
दादाश्री : इस नोंध से क्या नुकसान है उसकी उसे खबर ही नहीं है। अब नुकसान की बात उसे समझ में आ गई तो फिर नोंध कम होती जाएगी।
तुझे प्रतीति बैठी कि तू जो नोंध रखता है, वह गलत है । अब तुझे वह अनुभव में आता जाएगा कि नोंध नहीं रखी, उससे मुझे फायदा हुआ। नोंध नहीं रखी, तो फिर धीरे-धीरे उसे स्वाद आता ही जाएगा कि वास्तव में यह लाभदायक ही है । फिर आचरण में आएगा। यह है इसका तरीका !
है न ?
अगर आचरण में से छूटना हो तो आचरण छूटने से पहले प्रतीति बैठती है । फिर बाद में उसे अनुभव होता जाता है । उसके बाद वह आचरण छूट जाता है। यानी उसके 'साइन्टिफिक रिजल्ट' से आएगा न?! सीढ़ी चढ़नी हो तो क्या एकदम से चढ़ा जा सकता है ? वह तो सीढ़ी दर सीढ़ी ही चढ़ा जा सकता है न! यों ही एकदम से सीढ़ियाँ नहीं चढ़ सकते।
तूने यह नोंध शब्द सुना ही नहीं था न ? यह पहली बार ही सुना
'नोंध' तो बंधवाए बैर
यानी नोंध रखनी ही नहीं है । नोंध रखकर क्या फायदा मिला अभी