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[४] ममता : लालच
एक ही चीज़ खाए तो भी हर्ज नहीं है न! उसे अन्य और कोई लालच नहीं है न! यानी एक ही लालच में खेलता रहता है, बस । एक चीज़ पर आ जाए तब भी हर्ज नहीं है न! लालची तो हर किसी चीज़ के लालच में पड़े होते हैं ! यानी फिर जहाँ-जहाँ से चोर घुस सकते हैं न, वहाँ-वहाँ बाड़ बना देनी पड़ेगी । लालच तो बहुत ज़हरीली चीज़ है । लालच यदि एक लिमिट तक हो, एकाध चीज़ में, तो उसमें हर्ज नहीं है।
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लालची मोल लेता है जोखिम ही
प्रश्नकर्ता : कोई एक ही लालच जो 'एकस्ट्रीम' है, तो क्या वही उसे फँसाता है ?
दादाश्री : हाँ, ऐसा होता है न! कोर्ट में बहुत ही महत्वपूर्ण तारीख हो तब भी अगर लालच की जगह आ जाए, लालच पूरा हो ऐसी जगह मिल गई, तो वह कोर्ट भी छोड़ देता है । यों जोखिम मोल लेता है I
प्रश्नकर्ता : उस व्यक्ति को बहुत गैरजिम्मेदार व्यक्ति कहा जा सकता है ?
दादाश्री : गैरज़िम्मेदार नहीं कहा जा सकता, लेकिन बहुत अधिक ज़िम्मेदारीवाला कहलाता है ! लालच में ही शूरवीर होता है इसलिए बहुत ज़िम्मेदारी सिर पर लेता है ।
लालची की नज़र भोगने में ही
लेकिन लालची यानी सभी बंदरगाहों का मालिक । फिर उसका स्टीमर तो सभी बंदरगाहों पर खड़ा रहता है । और जैसा खुद का माल होता है, उसे उसी माल का व्यापारी मिल जाता है। ऐसा नियम है !
प्रश्नकर्ता : लेकिन उसकी तो नज़र ही वहीं रहती है न ? दादाश्री : नहीं । नज़र पर से नहीं । नियम ही ऐसा है क्योंकि