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[५] मान : गर्व : गारवता
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प्रश्नकर्ता : फिर मान में से ही अभिमान जन्म लेता होगा न?
दादाश्री : नहीं। अभिमान कब जन्म लेता है? ममता हो, तब अभिमान जन्म लेता है।
अहंकार अलग दशा है और अभिमान अलग दशा है। लोगों को कुछ भान तो है ही नहीं, वास्तव में भान नहीं है। कुछ भी बोलते रहते हैं! मन में जो आए वैसा कहते हैं कि 'यह अभिमानी आदमी है, यह अहंकारी आदमी है।' अहंकारी तो हर एक मनुष्य है। कोई व्यक्ति अहंकारी नहीं हो, ऐसा नहीं है। सिर्फ 'ज्ञानी' ही अहंकारी नहीं हैं और 'ज्ञानी' के 'फॉलोअर्स' भी अहंकारी नहीं हैं। बाकी, दुसरे सभी लोग अहंकारी।
अहंकार अर्थात् क्या? जो स्वयं नहीं है, उसका आरोपण करना। जो स्वयं है उसे जानता नहीं और जो नहीं है उसका आरोपण करता है, वह अहंकार है। वह किस-किस को होता है ? वह पद किस-किस पर लागू होता है ? सभी पर लागू होता है। सभी अहंकारी कहलाते हैं। अहंकार अर्थात् वस्तु के आधार पर नहीं। उसकी मान्यता में क्या बरतता है ? 'जो नहीं है ऐसा।' 'मैं' 'चंदूभाई' नहीं हूँ लेकिन मानता है कि 'मैं चंदूभाई हूँ' यही अहंकार! यानी 'स्वयं' यदि 'शुद्धात्मा' है तो अहंकार नहीं है और अगर 'चंदूभाई' हो तो अहंकार है। फिर, 'इस स्त्री का पति हूँ' वह दूसरा अहंकार । बड़े आए पति ! पत्नी झिड़कती है और फिर भी पति बन बैठता है। पत्नी झिड़के तब भी क्या उसे पति कहेंगे? फिर, 'मैं बच्चों का बाप हूँ,' वह तीसरा अहंकार। सारे, अहंकार के कितने प्रकार? फिर वे घर का अभिमान या ऐसा कुछ नहीं रखते फिर भी लोग कहेंगे कि यह अहंकार है इनका।
अहंकार का कोई गुनाह नहीं है। अहंकार अर्थात् जहाँ स्वयं नहीं है वहाँ आरोप करता है। इतना ही गुनाह है। अहंकार का और कोई गुनाह नहीं है।
अब मान अर्थात् क्या कि यहाँ पर फर्स्ट क्लास कपड़े पहनकर