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[५] मान : गर्व : गारवता
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प्रश्नकर्ता: इन सब को अलग-अलग स्पष्ट रूप से समझाइए न !
दादाश्री : यदि कोई मज़दूर जा रहा हो, तो हम कहें, ‘अरे, तेरा नाम क्या है ?' तब वह कहता है, 'ललवा ।' अब वह अपने आपको लल्लू भाई नहीं कहता, तो हम समझ जाते हैं कि यह सिर्फ अहंकारी ही है I
और हम किसी से पूछे कि, 'क्या नाम ?' तब वह कहता है कि, 'लल्लू भाई ।' तब हम समझ जाते हैं कि साथ ही यह मानी भी है ।
और दूसरा कोई जा रहा हो और हम पूछे, 'कौन हो आप ?' तब वह कहता है, ‘मैं लल्लू भाई वकील, नहीं पहचाना मुझे ?' यानी अभिमानी भी कहा जाएगा।
अर्थात् ये सब हैं इनके लक्षण !
फिर जब अहंकार ममता सहित हो, तब अभिमान खड़ा होता है। कोई भी ममता, चाहे किसी भी प्रकार की ! यानी किसी भी प्रकार की ममता सहित है तो वह अभिमान हुआ । जब सिर्फ अहंकार हो, ममता रहित हो, तो वह अहंकार कहलाता है।
प्रश्नकर्ता : फिर तुंडमिज़ाजी है न ? उसकी 'डेफिनेशन' क्या है?
दादाश्री : तुंडमिज़ाज ! नाम मात्र की समझ नहीं, ना ही लक्ष्मी का ठिकाना, तब भी बेहद मिजाज़ | शादी करने को नहीं मिल रही हो फिर भी मिज़ाज ! अरे, शादी करने को नहीं मिल रही फिर भी किस चीज़ का मिज़ाज करता रहता है वह ? वह तुंडमिज़ाज कहलाता है न, फिर ।
और फिर तुमाखीवाला । वह आज से पचहतर साल पहले कलेक्टर, पुलिस, डी.एस.पी. ओ, उन सभी को तुमाखी थी, जैसे भगवान ही हो इतनी तुमाखी रखते थे। बड़े-बड़े सेठों को मारते-पीटते, सेठों को हंटर से मारते थे। इतनी तुमाखी, तुमाखी ! अभी कुछ ही समय पहले देखा है मैंने यह सब । हमारा काम कॉन्ट्रैक्ट का है न, इसलिए