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[३] कॉमनसेन्स : वेल्डिंग
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तो बेवकूफ हैं।' क्या यह शर्मनाक बात नहीं कहलाएगी? ये लड़कियाँ अगर ऐसा कहें तो?!
क्योंकि कुदरत का तरीका ऐसा है कि दस साल का लड़का होता है और दस साल की लड़की होती है, लेकिन दस साल की लड़की में पंद्रह साल के लड़के जितना ज्ञान होता है, इतनी समझदारी होती है। कहलाती है दस साल की, लेकिन उसमें दूरदर्शिता होती है। इसलिए स्त्रियों में एडवान्स ज्ञान, मैनेजमेन्ट, वगैरह अधिक होता है।
व्यवहारिकता रहित एक स्त्री से मैंने पूछा कि, 'क्यों! क्या तेरे पति के साथ तेरी नहीं बनती?' तब उसने कहा, 'दादाजी, अक्ल तो इतनी अधिक है कि पूछो ही मत!' तब मैंने कहा कि, 'यह तो तेरे लिए अच्छा है अगर पति अक्ल वाला है तो!' तब उसने कहा, 'लेकिन व्यवहारिकता है ही नहीं।' यानी क्या कहती है कि कॉमनसेन्स नहीं है, इसलिए बात-बात में झगड़े हो जाते हैं। फिर उस स्त्री ने मुझसे पूछा कि, 'कॉमनसेन्स नहीं है, दादाजी। क्या करूँ?' तब मैंने कहा, 'सबकुछ समझ गया। अब तू और कोई बात ही मत करना।' ऐसे तो चलेगा ही नहीं न! थोड़ा बहुत कॉमनसेन्स तो चाहिए या नहीं चाहिए इंसान में? व्यवहारिकता तो होनी चाहिए न?
इसलिए फिर स्त्रियों से मैं क्या कहता हूँ कि, 'बहन, पति ऐसा नॉनसेन्स मिल जाए तो तेरी क्या दशा होगी? तुझे ऐसा नॉनसेन्स जीवन जीना पसंद है क्या? फिर भी प्रारब्ध में जो लिखा होगा वह छोड़ेगा नहीं न और अपना मनचाहा होगा नहीं, ऐसा है यह जगत् ! तुझे ऐसा नॉनसेन्स पति मिल जाए तो मुझे बता देना कि मुझे ऐसा पति मिला है। तो तुरंत ही मैं उसे रिपेयर कर दूंगा और तुझे चाबी दे दूंगा।' उसे रास्ते पर ले आऊँगा।
अहंकार डाउन, तो डीलिंग बेस्ट जिसमें कॉमनसेन्स नहीं हो न, उसका तो पत्नी के साथ एक घंटा