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आप्तवाणी-९
जिसमें पीछे कीलें होती हैं न, उससे मारता है। गूंगा प्राणी क्या करे? किससे शिकायत करे वह?!
इन लोगों को तो यदि कोई अंकुश चुभोए तो उन्हें दूसरे बचाने निकलते हैं। वह गूंगा प्राणी किससे फरियाद करे? अब इस बैल को क्यों इस तरह मार खानी पड़ी? क्योंकि पहले बहुत फरियाद की थी, उसका ऐसा परिणाम आया। उस दिन सत्ता मिली थी, तब फरियाद करता रहा। अब सत्ता नहीं है इसलिए फरियाद किए बगैर रहना है। अतः अब प्लस-माइनस कर दो। इसके बजाय फरियादी ही नहीं बनें तो क्या बुरा है ? फरियादी बनेंगे तो आरोपी बनने का समय आएगा न? अपने को तो आरोपी भी नहीं होना है और फरियादी भी नहीं होना है। सामने वाला गालियाँ दे जाए तो उसे जमा कर देना है फरियादी बनना ही नहीं है न! आपको क्या लगता है ? फरियादी बनना अच्छा है ? लेकिन इसके बजाय पहले से ही एडजस्ट हो जाएँ तो क्या बुरा?!
'डाउन' के साथ लेवलिंग' प्रश्नकर्ता : हम किसी एक लेवल पर आ गए और दूसरे लोग उस लेवल पर नहीं हैं। अब उनके साथ काम तो करना ही है, इसलिए कईं बार वहाँ फिर मेल नहीं खाता।
दादाश्री : यों मेल तो नहीं खाएगा न! मेल नहीं खाएगा, लेकिन हमें उसके साथ एडजस्ट होना है। इसीलिए मैंने कहा है न कि वहाँ 'समभाव से निकाल' करना।
ऐसा है न, हमारे पास अधिक लाइट हो तो उसे डिम की जा सकती है, लेकिन डिम लाइट वाला नहीं बढ़ा सकेगा। अपनी लाइट ज़्यादा है न, इसलिए डिम करके उसके साथ बैठना। आपकी लाइट बढ़ जाए तो इस भाई से किस तरह काम लेना है, वह फिट कर देते हो न? ऐसे सभी जगह फिट कर देना। आपको फिट कर देना है, अनंत शक्तियाँ हैं! आप 'दादा' का नाम लेकर कहो कि 'हे दादाजी, मुझे फिट हो जाए' तो फिट हो जाएगा तुरंत । आपके भाव में पक्का है कि किसी को किंचित्