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आप्तवाणी-९
दादाश्री : व्यवहारिक काम जल्दी, तेज़ी से कर लाए न, उसे अधिक सूझ कहा जाता है। उसे ऐसा कहा जाएगा कि वह सूझ वाला है। कॉमनसेन्स अर्थात् 'एवरीव्हेर एप्लिकेबल,' जो ताले नहीं खुल रहे हों, उसके वे ताले खोल देता है।
प्रश्नकर्ता : कोई निर्णय लेना हो तो कुछ लोग उलझते रहते हैं और कुछ तो यों तुरंत ही डिसिज़न ले लेते हैं, उसे सूझ कहते
दादाश्री : नहीं। यह निर्णय लेना, वह बुद्धि कहलाती है और स्पीडी काम कर ले, घंटे का काम पंद्रह मिनट में कर ले तो वह सूझ कहलाती है।
प्रश्नकर्ता : उसे व्यवहारिकता कहते हैं ?
दादाश्री : नहीं। वह सूझ कहलाती है। कईयों में सूझ और बुद्धि दोनों ही होते हैं। और फिर उनमें ऐसी बुद्धि होती है कि जो तेज़ी से निर्णय ले लेती है। सूझ को दर्शन कहते हैं और बुद्धि को ज्ञान कहते हैं लेकिन ये विपरीत ज्ञान और दर्शन हैं । अर्थात् सांसारिक ज्ञान और दर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्यादर्शन !
कॉमनसेन्स सर्वांगी प्रश्नकर्ता : व्यवहारिकता उसी को कहते हैं न कि व्यक्ति व्यवहार में एक्सपर्ट हो?
दादाश्री : हाँ, लोग यही कहते हैं न! उसे लोग एक्सपर्ट कहते हैं लेकिन एक्सपर्ट के बजाय व्यवहारिकता ज़्यादा बड़ी कहलाती है। व्यवहारिकता अर्थात् कॉमनसेन्स। कॉमनसेन्स सर्वांगी होता है और यह जो 'एक्सपर्ट' हैं, वे 'वन साइडेड' होते हैं। लेकिन उसमें वह एक्सपर्ट होता है। यह कॉमनसेन्स वाला एक्सपर्ट नहीं होता। एक साइड में एक्सपर्ट होने जाए तो दूसरी सब साइड बंद हो जाती हैं।
प्रश्नकर्ता : लिमिटेड फील्ड में ही एक्सपर्ट बन सकता है।