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[३] कॉमनसेन्स : वेल्डिंग
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उसके नज़दीक जाएँ मेल-मिलाप करने तो वह बिगड़ेगा तो क्या दूर रहकर उससे काम लेना चाहिए?
दादाश्री : वह कुछ कला करता है, दूसरी किसी कला से काम लेता है।
प्रश्नकर्ता : तो उसे कॉमनसेन्स कहेंगे? दादाश्री : हाँ, वह भी कॉमनसेन्स माना जाता है !
प्रश्नकर्ता : तो दादा, उस हिसाब से आपका कॉमनसेन्स बहुत 'टॉप' पर है।
दादाश्री : हमारा यह अलग तरह का कॉमनसेन्स कहलाता है। इसमें तो निःस्वार्थ रूप से सारे अनुभव ही देखे हैं, सभी अनुभव दिखाई देते हैं। यह तो, स्वार्थ के कारण अनुभव दिखाई नहीं देते। अनंत जन्मों से स्त्री से विवाह करता है, लेकिन क्या स्त्री के प्रति मोह जाता है लोगों का? अरे, मार भी बहुत खाते हैं।
प्रश्नकर्ता : लेकिन उसमें से सार नहीं निकलता। सार नहीं निकालता?
दादाश्री : सार नहीं निकालता। स्वार्थ की वजह से वह पूरा सार नहीं निकल सकता। इन साधु, आचार्यों ने, जिन्होंने भावना की होती हैं न, कि 'अब विवाह करना ही नहीं है।' उन्होंने तो सार निकाला है इनमें से।
___ ....और बुद्धि, सूझ, प्रज्ञा प्रश्नकर्ता : जो कॉमनसेन्स है, वह बुद्धि के आधार पर है या सूझ के आधार पर है?
दादाश्री : कॉमनसेन्स, सूझ के आधार पर है। सूझ अलग चीज़ है। वह कुदरती गिफ्ट है। हर एक में अंतरसूझ होती है न, उसी के आधार पर सब चलता है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन सूझ तो आत्मा का डायरेक्ट प्रकाश है न?