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आप्तवाणी - ९
हैं लेकिन मरने की शंका को उठने ही नहीं देते, उठ जाए तब भी उसे खोदकर निकाल देते हैं ।
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समाधान ज्ञानी के पास से
और धंधा बैठ जाएगा, ऐसा लगे तो उसकी चिंता करता है, उसके लिए शंका होती रहती है कि, 'धंधा बैठ जाएगा तो क्या होगा ? धंधा बैठ जाएगा तो क्या होगा ?' अरे, शंका मत करना। यह तो कहेगा कि, 'तेज़ी वाले लोग तो हमेशा तेज़ी में ही रहेंगे और मंदी वाले लोग तो हमेशा मंदी में ही रहेंगे। मंदीवाला, कभी भी तेज़ी में नहीं आता और तेज़ीवाला, कभी भी मंदी में नहीं आता। देखो न, 'कैसा आश्चर्य है !' लेकिन नहीं, पॉज़िटिवनेगेटिव दोनों रहते ही हैं, नहीं तो इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न ही नहीं होगी।
मोक्ष में जाने का ज्ञान मिला है, इसलिए अब मोक्ष में जाने की सभी तैयारियाँ रखना। शंका-कुशंका हो तो आकर हमें बता देना कि, ‘दादाजी, मुझे इस तरह से शंकाएँ होती हैं।' मैं समाधान कर दूँगा। वर्ना, शंका तो सब से भयंकर चीज़ है । वह भूत जैसी है, डाकण जैसी है। शंका के बजाय तो डाकण का चिपकना अच्छा है, उसे तो कोई उतार देगा लेकिन अगर शंका चिपक गई तो जाएगी ही नहीं ।
तो शंका ठेठ तक रखो
अपना तो यह आत्मज्ञान है ! कोई ऐसी-वैसी चीज़ नहीं है । यह तो आपको ग़ज़ब की चीज़ प्राप्त हुई है ! और ये जो सारे भाव आते हैं न, मन के भाव, बुद्धि के भाव, वे सभी भाव सिर्फ भयभीत ही करवाने वाले हैं। एकबार समझ जाना है कि ये सिर्फ भयभीत करने वाले लोग हैं और जब तक बुद्धि का उपयोग होता रहेगा, तब तक वह दखल करती ही रहेगी। आपकी बुद्धि दखल करती है क्या ?
प्रश्नकर्ता : कभी-कभी खड़ी हो जाती है, उल्टी खड़ी हो जाती है। दादाश्री : लेकिन वह गलत चीज़ है, उतना तो आप समझ गए
हो न ?