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आप्तवाणी-९
यदि लोग हट जाएँ न, तो वह अपने आप ही खाना खा लेगा। कोई भूखा नहीं मरता।
वह त्रागा नहीं कहलाता प्रश्नकर्ता : कुछ लोग तो, जब गुस्सा आए न, तो रूम के दरवाजे बंद करके बैठ जाते हैं। ये सभी, पूरा घर परेशान हो जाता है, लेकिन दरवाज़ा खोलता ही नहीं, वह त्रागा कहलाता है?
दादाश्री : वह त्रागा नहीं कहलाता। वह आड़ाई कहलाती है। त्रागा अलग चीज़ है।
प्रश्नकर्ता : छाती कूटना, खुद अपना सिर फोड़ना, वह त्रागा कहलाता है?
दादाश्री : वह सिर फोड़ता है, उसमें भी कुछ में आड़ाई होती है और कुछ में त्रागा होता है। त्रागा शब्द अलग चीज़ है। त्रागा में उस पर, खुद पर कोई भी असर नहीं होता। आड़ाई में तो खुद को अंदर दुःख होता रहता है। त्रागा यानी सिर्फ नाटक ही! यह तो आडाई कहलाती है। त्रागा में तो रोते जाते हैं और चिल्लाते जाते हैं लेकिन उन्हें अंदर बिल्कुल भी असर नहीं होता। ये जो दरवाजे बंद कर लेते हैं, घरवालों को डरा देते हैं, वह सब आड़ाई है। उससे तो खुद दुःखी होता है और सामने वाले को भी दुःख पहुँचाता है जबकि त्रागा में तो वह त्रागा करता है पर उसे कुछ भी स्पर्श नहीं करता। वह त्रागा कहलाता है! परिभाषा होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए? किसी भी चीज़ को यदि आप त्रागा कहो, तो ऐसा तो नहीं कह सकते न!
ऐसे को दूर से ही नमस्कार त्रागा तो बहुत नुकसान पहुंचाता है। प्रश्नकर्ता : त्रागा यानी, जरा उसका उदाहरण देकर समझाइए न ! दादाश्री : यदि कोई त्रागा कर रहा हो तो क्या आपको पता नहीं