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आप्तवाणी-९
नहीं देखें तो निकाल देते हैं। 'गेट आउट.' वह भी फिर 'गेट आउट' ऐसे नहीं करते। वह दुश्मन हो जाए, ऐसा नहीं करते। धीरे से करते हैं। वह विनय में, यदि परम विनय में रहे तो वहाँ पर दादा खुश!
हम तो सामने वाले को सही रास्ते पर लाने के लिए आए हैं। मुझे दुनिया में कुछ भी नहीं चाहिए। यह तो कहाँ उल्टे रास्ते पर चलता जा रहा है और उसी के कारण इतने अधिक दुःख पड़े हैं। उल्टे रास्ते चलते हैं और फिर ज़िम्मेदारी लेते हैं ! दुःख नहीं पड़ रहे हों तो बात अलग है। सुख उठाकर उल्टे रास्ते पर जा रहा हो तो बात अलग है। यह तो इतने दुःख सहन करता है और उल्टे रास्ते की ज़िम्मेदारी उठाता है इसलिए हमें करुणा आती है कि तू यह क्या उल्टे रास्ते पर चला जा रहा है!