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आप्तवाणी-९
कैसा है ? फलाना कैसा है ?' ऐसी बातचीत करनी चाहिए। आपको समझ में आया न?
प्रश्नकर्ता : जिस चीज़ से उद्वेग हो वह चीज़ छोड़ देनी चाहिए, लेकिन उद्वेग 'रिलेटिव' भाग है। उद्वेग के संयोग मिलेंगे तो उद्वेग हुए बगैर रहेगा नहीं।
दादाश्री : हाँ, उद्वेग हुए बगैर नहीं रहेगा लेकिन किस कारण से वह उद्वेग है, उस बेल की जड़ होती है वापस। यानी उद्वेग के लिए क्या करना पड़ेगा? जड़ से ही उखाड़ देना पड़ेगा।
बुद्धि ही लाती है उद्वेग प्रश्नकर्ता : अहम् भाव, अभिमान, वे रखने से यह सारा उद्वेग होता है?
दादाश्री : नहीं, अभिमान से उद्वेग नहीं होते। उद्वेग करवाने वाली एक दूसरी चीज़ है। यहाँ पर 'लाइट' 'डिम' है और यहीं पर सब को सो जाना है। अब आपने यहाँ पर छोटे से साँप को घुसते हुए देखा, अन्य किसी ने नहीं देखा। अब, सभी को सो जाना है, तो जिन्होंने नहीं देखा वे पूरी रात आराम से सो जाएँगे न?
प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : और देखने वाले को? प्रश्नकर्ता : उसे नींद नहीं आएगी।
दादाश्री : उसका क्या कारण है ? उसे साँप के अंदर घुसने का ज्ञान हो गया है जबकि बाकी के लोगों को साँप के घुसने का ज्ञान नहीं है, इसलिए उन्हें नींद आ जाती है। अब आपको नींद कब आएगी? साँप के निकल जाने का ज्ञान हो जाएगा तब आपको नींद आएगी। अब इसका कब अंत आएगा? इसलिए यह सब 'इमोशनल' हो जाता है। यह बुद्धि 'इमोशनल' करती है। अहम् तो नहीं करता। अहम् तो बेचारा बहुत अच्छा है। यह सारी कारस्तानी बुद्धि की है यानी कि