________________
[१] आड़ाई : रूठना : त्रागा
४३
के डिब्बे, घासलेट के डिब्बे और तेल के डिब्बे सब इधर-उधर फेंक दिए थे। सब तहस-नहस कर दिया, कमरे में सब बिखर गया था।
प्रश्नकर्ता : मनमानी करवाने के लिए?
दादाश्री : हाँ, पूरी जिंदगी में इतना त्रागा किया है। इसे त्रागा कहते हैं। सामने वाले को दबाने के लिए! वह भी परायों के लिए, धर्म के लिए करना पड़ा था। मेरे खुद के लिए कुछ भी नहीं किया था। क्योंकि हीरा बा (दादाश्री के पत्नी) से हमने कहा कि, 'ऐसा वर्तन आपको नहीं करना चाहिए।'
बात ऐसी थी, हमें 'ज्ञान' होने के बाद मामा की पोल में बेचारी लडकियाँ विधि करने आती थीं। तो बेचारे हीरा बा को तो कुछ भी रोग नहीं था। अच्छी इंसान थीं लेकिन जब पड़ौसी के वहाँ बैठती थीं न, तो पडोस की स्त्रियों ने उन्हें चढ़ा दिया कि, 'हाय, हाय, अरे बाप, ये सब छोटी-छोटी लड़कियाँ दादा के पैर छूकर, ऐसे टच करती है। बाहर बहुत बुरा दिखता है। ऐसा क्या अच्छा दिखता है ? दादाजी अच्छे इंसान हैं, लेकिन यह गलत दिखता है। इससे दादा की क्या आबरू रहेगी?' लोग तरह-तरह के आरोप लगाते और उन्होंने उनके दिमाग़ में ऐसा घुसा दिया। तो बेचारे हीरा बा तो घबरा गए, कि यह तो अपनी आबरू जा रही है। यों खुद अच्छी इंसान थीं, लेकिन लोगों ने अंदर नमक डाल दिया। दूध में नमक डालें तो क्या होता है?
प्रश्नकर्ता : फट जाता है।
दादाश्री : वह मैं जानता था कि इन लोगों ने नमक डालना शुरू कर दिया है, तो कभी न कभी फटेगा! लेकिन मैंने इंतज़ार किया। अब एक दिन एक बहन विधि कर रही थी, तो हीरा बा ने झाडू लगाते-लगाते ज़ोर से दरवाज़ा खड़काया। उन्होंने कभी भी ऐसा नहीं किया था। हमारे घर में ऐसा रिवाज़ ही नहीं था। वह लड़की घबराकर चली जाए, इसीलिए किया था, मैं घबरा जाऊँ उसके लिए नहीं। लड़कियाँ समझीं कि हीरा बा अभी डाँटेंगी। वह लड़की विधि करते-करते यों काँप गई। मैं समझ