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[१] आड़ाई : रूठना : त्रागा
और इन लोगों को क्रमबद्ध लिंक नहीं मिलती और न जाने कहाँ चले जाते हैं।
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मुझे भी क्रमबद्ध लिंक मिली थी। मैंने खुद अपने आप के लिए शोध की थी कि यह कैसे हुआ ! मुझे वह क्रमबद्ध लिंक मिली थी इसलिए यह पूरा अक्रम विज्ञान प्रकट हो गया न !
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अतः यह “जो टेढ़ा है वह 'मैं' नहीं हूँ" ऐसा ज्ञान होना, वही 'अक्रम विज्ञान' है और "जो टेढ़ा है वह 'मैं' हूँ और मुझे सीधा होना है" वह कहलाता है क्रम !
रूठ गए ? तो 'गाड़ी' चली जाएगी
प्रश्नकर्ता : कोई रूठ जाए तो क्या वह उसकी आड़ाई का ही प्रकार कहलाएगा ?
दादाश्री : तो फिर और क्या कहलाएगा ? नहीं तो रूठने की ज़रूरत ही कहाँ रहती है ? लेकिन टेढ़ा हुए बगैर रहता नहीं। ज़रा सा भी उसे बुरा लगे कि आड़ाई करता है । बस बुरा लगना चाहिए ।
बाकी तो रूठ जाए तब आड़ाई करता है न ! स्टेशन पर एक व्यक्ति की रूठी हुई पत्नी आई थी । उस व्यक्ति ने उसे कहा कि, 'गाड़ी में बैठ जा न! गाड़ी रवाना हो जाएगी। फिर रात हो जाएगी ।' तब भी वह नहीं बैठी और उसे भी भटकना पड़ा। रूठे हुए व्यक्ति के सामने तो बारह गाड़ियाँ चली जाती हैं। गाड़ी क्या रूठे हुए को मनाने के लिए आएगी ? जगत् तो चलता ही रहेगा। क्या जगत् खड़ा रहता है थोड़ी देर के लिए भी? अगर आप रूठ जाओ तो क्या बाराती खड़े रहेंगे ? बाराती बेटे का विवाह करने जा रहे हों और आप रूठ जाओ तो क्या आपके लिए दो दिन तक बैठे रहेंगे? नहीं। ऐसा है यह जगत् !
प्रश्नकर्ता : बारात में ये रिश्तेदार रूठ जाते हैं और आखिर में संदेशा भिजवाते हैं कि आप हमें मनाने आओ तो हम मान जाएँगे।
दादाश्री : वे गाड़ी रवाना होते समय मान जाते हैं । उसे अनुभव
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