________________
आप्तवाणी
श्रेणी - ९
[ १ ]
आड़ाई : रूठना : त्रागा
समझने जैसी बात 'ज्ञानी' की
'ज्ञानीपुरुष' की बात दरअसल सीधी है । मोक्ष भी सीधा है। मोक्ष में सभी को जाने देते हैं, नहीं जाने दें ऐसा कुछ है नहीं, लेकिन मोक्ष के लिए लायक होना चाहिए । अगर टेढ़े-मेढ़े चले तो वहाँ पर मोक्ष में तो नहीं जा सकोगे। इसके बजाय पहले से ही सीधे हो जाएँ तो क्या बुरा है ? मोक्ष कठिन नहीं है, लेकिन अगर ज्ञानीपुरुष की बात समझ में आ गई तो काम का है। यदि समझ में नहीं आए तो गुत्थियाँ पड़ जाएँगी क्योंकि ज्ञानीपुरुष की बातें त्रिकाल सिद्ध कहलाती हैं। उन्होंने एक बार जो कहा हो न, तो तीर्थंकरों ने भी वही कहा होता है।
हमें 'ज्ञानीपुरुष' के कहे अनुसार चलना चाहिए; क्योंकि 'ज्ञानीपुरुष' किसे कहते हैं ? उन्हें, जो सभी तरह से सीधे हो चुके होते हैं । वे गालियाँ खाने में भी सीधे और गालियाँ देने में भी सीधे । लेकिन गालियाँ देने का समय आए तो वे गालियाँ देते नहीं हैं क्योंकि सीधे हो चुके हैं इसलिए देते ही नहीं न! हम तो पहले से ही सीधे हो चुके हैं और आपको भी
I