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'पोइन्ट मैन', मोक्षमार्ग में... ४०३ 'ज्ञानी' असहज नहीं होते ४५३ 'मुझे क्या?'
४११ उसके बाद ही ड्रामेटिक रहा जा... ४५३ कान देकर सुनना... ४१४ फिर भी रहा पोतापणुं
४५४ 'मैं जानता हूँ' - आपघाती कारण ४१९ सत्ता गई, पोतापणुं रह गया ४५६ [८] जागृति : पूजे जाने की कामना मैं, वकील, मंगलदास
४५७ 'ज्ञानी' के नजरिये से समझ ४२७ रक्षण, वह है लक्षण पोतापणुं का ४५८ पूर्णाहुति करनी हो, तो... ४२८ वहाँ है गाढ़ पोतापणुं
४६० उपशम, वह है दबा हुआ अंगारा ही४२९ ‘देखने वाले' में नहीं है पोतापर्यु ४६१ 'खुद' के प्रति पक्षपात, स्वसत्ता पर...४३०
'टेस्ट,' पोतापणुं का
४६२ तब 'जागृति' परिणामित होती है... ४३२ तब जाएगा पोतापणुं
४६३ जहाँ 'जागृति' है, वहाँ कषाय को.. ४३३ छोड़ना है शौक़ पोतापणुं का ही ४६५ 'क्षायक', के बाद सेफसाइड ४३४
'भाव' से करना पुरुषार्थ मीठा लगे, वहाँ पड़े मार ४३५
'उदय' में बरतता हुआ पोतापणुं ४६८ जहाँ 'विशेषता,' वहाँ विष ४३६
न 'डिस्चार्ज' अहंकार, वह पोतापणुं ४६९ समकित द्वारा क्षायक की ओर ४३६
'डिस्चार्ज' पोतापणुं है प्रमाण... ४७० बहुत ही सावधानी से चलना चाहिए४३७
यथार्थ जागृति, जुदापन की ४७१
जितना अनुभव, उतना ही पोतापणुं..४७४ बालक बनना, 'ज्ञानी' के
यह सारा ही पोतापणुं
४७५ पूर्णता के बगैर गिरा देता है....
बचा यही पुरुषार्थ
४७६ अपूज्य को पूजने से पतन ४४०
वहाँ पर बल प्रज्ञा का मोक्षमार्ग के भय स्थान
यों अनुभव बढ़ता जाता है। गुप्त वेश में निकल जाओ ४४४
समझना ज्ञान भाषा की गहन बातें ४७८ 'ज्ञानी' के साथ सीधी तरह से... ४४५
'अक्रम विज्ञान' की लब्धि ४८० अहो! कारुण्यता 'ज्ञानी' की ४४६
४०६ अधीनता के बिना मोक्षमार्ग नहीं.. ४८१ [९] पोतापणुं : परमात्मा ।
ज्ञानी दशा का प्रमाण अभेदता, पूरे विश्व के साथ ४४९ 'विज्ञान' में सिर्फ बात को... ४८३ 'आपापणुं' सौंप दिया
पहचानने वाला ही प्राप्ति करेगा ४८४ 'ज्ञानी' में पोतापणुं नहीं होता ४५१ आपोपुं गया, हो गया परमात्मा ४८४
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