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मान्यता ही लगाती है ममता २२० [५] मान : गर्व : गारवता जो ममता वाला है, वह 'खुद'... २२० मान, ममता रहित
२५९ ड्रामेटिक ममता, ड्रामे... २२१ मन में माना हुआ मान २६० भोगवटा, लेकिन ममता.. २२२ वह सब मान के लिए ही। उसे मोक्ष मिलता है
२२२ क्रोध से भी भयंकर है उत्तापना २६३ लालच में, नियम भी नहीं २२३ अच्छा लगनेवाला अहंकार... लालच तो ध्येय चुकवा दे २२३ खानदान का अहंकार
२६५ जोखिम, लोभ या लालच? २२५ मान की भूख
२६७ जहाँ तहाँ से सुख का ही लालच २२९ मान के स्वाद से लोभ छूटता है २६८ विषय का लालच, कैसी... २३१ मान व मान की भीख
२६९ उसी से टकराव
२३३ मान चखो, लेकिन... और लालच में से लाचारी में २३४ मान में कपट : मान की विकृति २७१ लालची का स्पर्श बिगाड़े संस्कार २३५ अपमान करनेवाला, उपकारी २७२ यही पुरुषार्थ २३६ अपमान का प्रेमी
२७३ लालची मोल लेता है जोखिम ही २३७ गणतर (सूझ-बूझ) की हेल्प २७३ लालची की नज़र भोगने में ही २३७ जहाँ प्रतिकार, वहाँ प्रतिक्रमण २७४ इसका क्या लालच? २३८ अपमान की निर्बलता
२७५ स्वच्छंद, अटकण और लालच २३९ आत्मा के लिए, मान-अपमान? २७६ लालच की ग्रंथि
२३९ जिसका अपमान, वह 'खुद' नहीं है२७७ ऐसा निश्चय छुड़वाए लालच २४० लिपटी है वंशावली, कषायों की २७८ अहंकार करके भी निकाल देना है २४१ 'करने वाले' की जगह 'चेन्ज' २८० तब लालच जाएगा
२४२ मान, वह हिंसक भाव ही २८१ लालच की खातिर तो दःख देता है २४३ मान के पर्याय अनेक ऐसा दुरुपयोग होता नहीं है न २४३ 'हम' बाधक है मोक्ष में जाते हुए २८६ कुसंग का रंग
२४५ अहंकार, मान, अभिमान.... उसके आवरण भारी
देहाभिमान पहुँचा शून्यता तक २९७
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स्वरूप ज्ञान के बाद.... आज्ञापालन ही अंतिम उपाय पूजे जाने का लालच
स्वमान अर्थात्... एक जन्म, ज्ञानी की अधीनता में २५४
" अज्ञान दशा का श्रेष्ठ सद्गुण
'अभिमानी : मिथ्याभिमानी ३०५ अधीनता, लेकिन ऊपरी नहीं २५५
वह है मिथ्याभिमान
३०६ हेतु, पूर्णकाम का होना चाहिए २५६
२१५ राई भरी दिमाग़ में शास्त्र में नहीं, सुना नहीं.... २५७ मान नापने का थर्मामीटर
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