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किरण १]
वानर-माद्वीप
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रहस्योंका उद्घाटन कर सकते हैं।
कहा गया है और अफगानिस्तानके रहनेवाले होते भी ऐस पार्योका मूलस्थान
ही हैं । अफगानिस्तानसे ऊपर तुर्किस्तान है और उसके
सामनेका मैदान 'गिरडेशिया' मैदान कहा जाता है। इस प्रकार यह निर्विवाद सिद्ध होता है कि पार्यों का
श्रीयुत नन्दलाल डेने अपनी पुस्तक पसातल' में सिद्ध मूल स्थान पंजाब प्रांत व उत्तरी हिमालयका अंचज हैं।
किया है कि तुर्क लोग डी पुरानी नाग जाति हैं। तुकोंकी था। यह भी ज्ञात होता है कि भगवान रामचन्द्रका वंश
उपजातियां जैसे 'मम' 'बासक' इत्यादि भी सोक सूर्यवंश क्यों कहलाता है। हम ऊपर कह चुके हैं कि
राजााके नाम हैं। तक्षक, शेष, वासुकी प्रसिद्ध नागराज पौराणिक इतिहासके अनुसार मनुष्य अथवा श्रायं लोग
हैं। और इनका निवास गिरडेशियामें रहने वाले 'गरुडी' व देवता, दैत्य इत्यादि समकालीन जातियां कीं। यद
से मिला रहने के कारण दोनों में लगाई होते रहना हम यह पता लगाले कि देवता और दैन्य कहाँ रहते थे
स्वाभाविक है। तो पार्योंका भी मूलस्थान मालूम हो जायगा।
घड़ी विचित्र यात यूनानी इतिहासज्ञोंके अनुसार 'एशया माइनर' में पहले कोई कसपीआई' जाति रहती थी । इस
___ एक और बड़ी विचित्र बात है। ये नागराज, शेष 'कसपीअाई' जातिक पूर्वजका नाम 'केपीअोम' था।
और गाड लोग जिम प्रदेशमें रहते थे वह तिब्बतके इमी 'केस्पीभाई' जातके नाम पर 'काकशस' पहाड
समीपवर्ती हे पश्चिमकी ओर । भौर 'केस्पीन पागर' के नाम पड़े । यह कथा बिलकुल निब्बतका अर्थ कदाचित किसी दूसरी भाषामें नहीं पुराणोंके 'कश्यप ऋषिकी मी मानम होती है। यह मिलता परन्तु संस्कृत में इसका नाम 'त्रिविष्टप' है जिसके समानता प्रामाणिकताको पहंच जाती है जब यह मालूम अर्थ वैकुण्ठ' होते हैं। वैकुगट विष्णुका निवास स्थान होता है कि इस केम्पीमाई जातिकी राजधानी और गरुड व शेषनाग दोनों ही विष्णक वाहन है। जिस 'हिरकेनिया' थी जो केस्पीअन सागरके किनारे थी। तथा समयकी बात कर रहे हैं-जबकि राजपूताना और गंगापारसी पैगम्बर जरदश्त' का जन्म दैन्य' नदीके जमुनी समुद्र तथा 'लीयरियन' महाद्वीप विद्यमान थेकिनारे हा था और दैत्य' नदी केम्पीअन मागरमें उस समय तिब्बतका अधिकांश भाग बर्फम ढका हुश्रा गिरती थी। कश्यप पिके वंशज हिरण्यकश्यप' ने था। कदाचित् वही चैकुण्ठ' का निर्माण हा होगा। ही हिरणयपुर नामक नगर वसाया था। दैत्य नदीके अस्तु, विष्याका क्षीरमागरमें निवास भी कहा जा सकता किनारे निवास करनेसे 'केस्पीआई जातिका 'दैत्य' है। इपी प्रदेशके पास श्राज भी 'समरकन्द' एक प्रसिद्ध कहा जाना भी समझमें पाता है। दैत्य जाति यदि पास नगर है और उसी प्रदेशमें घाज भी 'मेरु नामक पर्पत है। में कस्पीअन सागरके किनारे रहती थी तो अन्य जातियां भगवान विष्ण का निवास भी मेरु या सुमेरु पर्वतपर कहा जो सब कश्यपकी अन्य स्त्रियोंस उत्पन्न कही जाती हैं जाता है और उसके पामका प्रदेश 'सुमेरु खण्ड' कहा ही कहां रहती थीं?
__ जायगा । तिब्बतके राजाको श्राज तक भगवानका अवतार ___कंधारका पुराना संस्कृत नाम गांधार प्रसिद्ध है जहां समझा जाता है। की राजकुमारी गांधारी महाभारतके धनराधकी रानी थी। वैकुण्ठके निर्माण सम्बन्धी एक कथा प्रसिद्ध है। जब कदाचित् यही देश गंधर्व लोगों का था और उसके पास 'वामन' का अवतार हुअा तो इन्द्रने विश्वकर्माको आज्ञा का कावुल प्रदेश किसर लोगोंका रहा होगा। गंधर्व और दी कि वह स्वर्गके समीप ही उसके छोटे भाई वामन' के किनर दोनों ही बड़े बलवान और टीबडोक वाले समझे लिये एक नया स्वर्ग बनावे । उमी नये स्वर्गका नाम जाते थे । द्रौपदीने जब विराटके यहां नौकर की थी वैकुण्ठ रखा गया। यदि तिम्बत वैकुण्ठ था तो इन्द्रका तब पाँचों पांडवोंको उसके रक्षक पाँच गंधर्वो के रूप में ही स्वर्ग उसका समीपवर्ती देश चीन समझा जाना चाहिए ।