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किरण १०-११ ]
ऐतिहासिक घटनका एक संग्रह
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१७१६-राव लक्खि महेदा सोउत गोढवाडसे १७३६–जालौर राठोड सुजानसिंहका हुआ । ५०० साँड ले आया।
और वर्ष १ अधिकारमें रहा। १७१७--राउ वेणीदास बलू उत चौहान देव- १७३६(१)-जालौर फतहखान दीवानका हश्रा। लोकको प्राप्त हुआ।
१७३६-सुजानसिंहने लड़कर सोजित जीता। १७१४ (७) मोहणत सुन्दरदासने सींधलावटी १७३७ - राणा राजसिंह देवलोकको प्राप्त हुआ। मारी, घने सिंधल काम आए (मारे गये) २७ १७३७-राणा जयसिंह, जिसका जन्म संवत 'कोटडी' उठी।
१७१० में हुआ था, गद्दीपर बैठा। १७१७-दीषणी (दक्षिणी) से
७३७-इन्द्रसिंहजी जोधपुरसे बेदखल हुए और १७१७-सलेमाने शूकर मारा ।
नवाब अनात (इनायत) खान उसपर काबिज हुए। १७२४-शिव बादशाह के कदमों (चरणों) में १७३७–'जालौर' रामसिंहका हुआ । गया।
५७३८-'जालौर' बहलोलखानका हुआ। १७३८-राव अक्षराम देवलोकको प्राप्त हुआ। १७३९-बहलोलखान जालौरकी गद्दीसे उतारा
१७३३-राव बैरीसाल गद्दीपर बैठा, जिसका गया और पाटणका सूबेदार हुआ। जन्म सं० १७२१ में हुआ था।
१७४३-सिरोहीमें उदयसिंह चंपाउत, मुंकदास १७३३-राजा रायसिंहोत देवकतने दक्षिणमें (?) खीची इनको महाराजाके बेटेंने सूबा (परगनेका मोहनत करमसीको मारा, मोहनत मोहनदास हाकिम) किया। तेजमाल और प्रतापसिंहको नागौर में मारा।
१७४८-माघ वदि १ को राजा जयसिंह घानोर १७३३-सिरोही वाला राव उदयसिंह देव- आया और वैशाग्वकं बाद वापिस गया । लोकको प्राप्त हुआ।
१७५२–सूर्यग्रहण बहुत जोरका हुआ, दिनमें १७३५--महाराजा (जमवंतसिंह ?) के माथ तारं दिग्बाई देने लगे। दिल्लीने लड़ाई की। रघुनाथ भाटी रिणछोडदाम १७५२-माघक महीनम भूकम्प हुआ। योद्धा दुर्गदास, आसकरणोत, इन्होंने मुख्य हो १७५२-"आषाढ वदी ९ उदैपुर राजा परथम करके लड़ाई की, जिसमें घने मुगल काम आए और परणी" (?) राठोड जीता।
१७५३- अकबर की बेटी आगरा गई। ___ १७३५-"मेवाड माहें विपी (झगड़ा-फिमाद ?)
१७५४-माघ वदि २ को अजितसिंह जोधपुर वर्ष २ रह्यो ।
गया, सुरसागरकं पाम डरा हुआ । माघ मासमें १७३५ -पौप वदिमें महाराज जसवंतसिंह ही बादको भांडवालमें डेरा हुआ। देवलोकको प्राप्त हुआ ।
१७५१-दुगदाम और आसकरणोत सुलतान १७३५-चैत्र वदि ४को महाराजाके कुंवर अजीत- बेगजी वादशाहके पास गय, बादशाह उनपर महेरमिह-छत्रसिहका जन्म हुआ।
बान हुआ और उन्हें सात हजारी मन्सब दिया। १७३५-जेठमें डीडूआना मारा, "नीवतरा १७५४--फागुनमें भूमि धड़धड़ कांपी। ठीहा किया" ।
१७५४–'जालौर' महाराजजी (?) को हुई। १७३५-जोधपुर इन्द्रसिंहजीका हुआ-उनके १७५५-आश्विनमें राणा जयसिंह देवलोकको अधिकार में पाया।
प्राप्त हुआ। १७३६-अंधी वाउल आई, 'खेरवा' (?) इकट्ठा १७५५-राणा अमरसिंह, जिसका जन्म संवत्
१७२९ में हुआ था, पाटपर बैठा (गद्दीनशीन हुआ)।
हुआ।