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________________ किरण १०-११ ] ऐतिहासिक घटनका एक संग्रह ३७३ १७१६-राव लक्खि महेदा सोउत गोढवाडसे १७३६–जालौर राठोड सुजानसिंहका हुआ । ५०० साँड ले आया। और वर्ष १ अधिकारमें रहा। १७१७--राउ वेणीदास बलू उत चौहान देव- १७३६(१)-जालौर फतहखान दीवानका हश्रा। लोकको प्राप्त हुआ। १७३६-सुजानसिंहने लड़कर सोजित जीता। १७१४ (७) मोहणत सुन्दरदासने सींधलावटी १७३७ - राणा राजसिंह देवलोकको प्राप्त हुआ। मारी, घने सिंधल काम आए (मारे गये) २७ १७३७-राणा जयसिंह, जिसका जन्म संवत 'कोटडी' उठी। १७१० में हुआ था, गद्दीपर बैठा। १७१७-दीषणी (दक्षिणी) से ७३७-इन्द्रसिंहजी जोधपुरसे बेदखल हुए और १७१७-सलेमाने शूकर मारा । नवाब अनात (इनायत) खान उसपर काबिज हुए। १७२४-शिव बादशाह के कदमों (चरणों) में १७३७–'जालौर' रामसिंहका हुआ । गया। ५७३८-'जालौर' बहलोलखानका हुआ। १७३८-राव अक्षराम देवलोकको प्राप्त हुआ। १७३९-बहलोलखान जालौरकी गद्दीसे उतारा १७३३-राव बैरीसाल गद्दीपर बैठा, जिसका गया और पाटणका सूबेदार हुआ। जन्म सं० १७२१ में हुआ था। १७४३-सिरोहीमें उदयसिंह चंपाउत, मुंकदास १७३३-राजा रायसिंहोत देवकतने दक्षिणमें (?) खीची इनको महाराजाके बेटेंने सूबा (परगनेका मोहनत करमसीको मारा, मोहनत मोहनदास हाकिम) किया। तेजमाल और प्रतापसिंहको नागौर में मारा। १७४८-माघ वदि १ को राजा जयसिंह घानोर १७३३-सिरोही वाला राव उदयसिंह देव- आया और वैशाग्वकं बाद वापिस गया । लोकको प्राप्त हुआ। १७५२–सूर्यग्रहण बहुत जोरका हुआ, दिनमें १७३५--महाराजा (जमवंतसिंह ?) के माथ तारं दिग्बाई देने लगे। दिल्लीने लड़ाई की। रघुनाथ भाटी रिणछोडदाम १७५२-माघक महीनम भूकम्प हुआ। योद्धा दुर्गदास, आसकरणोत, इन्होंने मुख्य हो १७५२-"आषाढ वदी ९ उदैपुर राजा परथम करके लड़ाई की, जिसमें घने मुगल काम आए और परणी" (?) राठोड जीता। १७५३- अकबर की बेटी आगरा गई। ___ १७३५-"मेवाड माहें विपी (झगड़ा-फिमाद ?) १७५४-माघ वदि २ को अजितसिंह जोधपुर वर्ष २ रह्यो । गया, सुरसागरकं पाम डरा हुआ । माघ मासमें १७३५ -पौप वदिमें महाराज जसवंतसिंह ही बादको भांडवालमें डेरा हुआ। देवलोकको प्राप्त हुआ । १७५१-दुगदाम और आसकरणोत सुलतान १७३५-चैत्र वदि ४को महाराजाके कुंवर अजीत- बेगजी वादशाहके पास गय, बादशाह उनपर महेरमिह-छत्रसिहका जन्म हुआ। बान हुआ और उन्हें सात हजारी मन्सब दिया। १७३५-जेठमें डीडूआना मारा, "नीवतरा १७५४--फागुनमें भूमि धड़धड़ कांपी। ठीहा किया" । १७५४–'जालौर' महाराजजी (?) को हुई। १७३५-जोधपुर इन्द्रसिंहजीका हुआ-उनके १७५५-आश्विनमें राणा जयसिंह देवलोकको अधिकार में पाया। प्राप्त हुआ। १७३६-अंधी वाउल आई, 'खेरवा' (?) इकट्ठा १७५५-राणा अमरसिंह, जिसका जन्म संवत् १७२९ में हुआ था, पाटपर बैठा (गद्दीनशीन हुआ)। हुआ।
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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