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अनेकान्त
[ वर्ष ८
प्रकाशन किया जाय । आगे पुराने और नये मेम्बरों विदेशकी खबरें भी इन अटोंमें हैं। पत्रकी भाषा की नामावली है । इसके बाद चार परिशिष्ट हैं। सरल और प्राञ्जल है। सफाई छपाई उत्तम है। सब पहले परिशिष्टमें ग्रन्थमालाका आय-व्यय दिया गया मिलाकर पत्र लोकरुचिके अनुकूल है । हम पत्रहै । दूसरेमें एकसौ रुपयेसे ज्यादा देनेवालोंकी की हृदयसे प्रगतिकामना करते हैं। पाठकोंको ग्राहक नामावली दी गई है। तीसरेमें छपे ग्रन्थोंकी संख्या अवश्य बनना चाहिए।
और उनकी लागत मूल्य बतलाई गई है। चामें ५-श्वेताम्बर जैन-(पाक्षिक पत्र)–सम्पादक वर्तमानमें मौजद ग्रन्थोंकी प्रति, संख्या और उनका और प्रकाशक श्रीजवाहरलाल लोडा, मोती कटरा, कुल मूल्य क्रमशः दिया गया है। ग्रन्थमालामें अबतक ।
आगरा । वार्षिक मूल्य ४)। ४२ ग्रन्थ छपे हैं। कुछ ग्रन्थ कई खण्डोंमें छपे हैं,
यह श्वेताम्बर जैन-समाजका मुख पत्र है । जिनकी कुल लागत ३६२६९|||-)। पड़ी है और
हाल में इमका पुनः प्रकाशन प्रारम्भ हुआ है। इसका वर्तमानमें २८००२||--।। के ग्रन्थ मौजूद है। इससे तीसरा अल हमारे सामने है। लेख पढ़ने योग्य है। मालूम होता है कि ग्रन्थमालाने बड़ी महूलियतसे
स देश-विदेशादिकं समाचारोंका सङ्कलन है । 'श्री सुन्दर और अधिक प्रकाशन प्रकाशित किये हैं। केशरियाजी तीर्थ और जैनम जैस लेखों द्वारा पत्र इसका श्रेय प्रेमीजीको है जिन्होंने ग्रन्थमालाका न
साम्प्रदायिकताको न उकमाकर उसके दूर करनमें स्वतन्त्र ऑफिस रखा और न कोई स्थायी कर्मचारी।
अग्रसर हो, यही शुभ कामना है। ग्रन्थ छपानकी व्यवस्था और पत्र व्यवहादि भी। अपने हिन्दी ग्रन्थ कार्यालय द्वारा ही ठीक कर लेते ६-याराग्य (मामिक पत्र)-सम्पादक विटलहैं। ग्रन्थमालाकी जो सज्जन सौ रुपयासे एकमुश्त दास मोदी गोरखपुर । मूल्य ४) । प्राप्तिम्थान, सहायता करते हैं उन्हें ग्रन्थमालाकं पहले वर्तमान 'आरोग्य' कार्यालय, गोरखपुर ।
और आगे सब प्रकाशन भेंट दिये जाते हैं। ऐमी प्रस्तुत पत्रका प्रकाशन जुलाईसे शुरू हुआ है। उपयोगी ग्रन्थमालाका प्रत्येक समर्थ सज्जनको सौ इसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य-सम्बन्धी रुपये देकर अवश्य सहायक बनना चाहिए । लेखांका बहुत उत्तम संग्रह है। पत्रका ध्यय प्राकृतिक ४-वीर-वाणी (पाक्षिक पत्र)-सम्पादक श्रीचैन
चिकित्मा द्वारा जनमाधारणके स्वास्थ्यको बनाना सुखदास न्यायतीर्थ व श्रीभंवरलाल न्यायतीर्थ,
और उसकी वृद्धि करना है। इसके सभी लेख उत्तम प्रकाशक पं० भंवरलाल जैन, श्रीवीर-प्रम मनिहारोंका
और प्रत्यकके लिय पठनीय हैं। आशा है ऐस पत्रोंस
भारतीयोंको बड़ा लाभ पहुंचेगा । हम पत्रकी रास्ता जयपुर, वाषिक मूल्य ३)।
मफलताको कामना करते है और पाठकोंसे अनुरोध _इस पत्रका गत महावीर-जयन्तीसे ही प्रकाशन
करते हैं कि वे उक्त पत्रसे अधिकसे अधिक प्रारम्भ हुआ है । इसके ३, ७ और ८-९ अङ्क हमारे सामने हैं। इनमें मुख्यतः जयपुरकं साहित्यकारों '
लाभ उठायें । और दीवानोंका प्रमाणपुरस्सर विस्तृत परिचय है ७-जैन-जगत (मासिक पत्र) सम्पादक, जो प्रायः अबतक अप्रकाशित था। पत्रका ध्येय भी प्रकाशक, श्रीहीरामाव चवडे, वर्धा । कार्यवाहयही प्रतीत होता है कि इसमें जयपुरके उन समस्त मम्पादक, श्रीजमनालाल जैन माहित्यरत्न । सम्पादक साहित्यकारों और दीवानोंका क्रमशः प्रामाणिक मण्डल, भानुकुमार जैन, ताराचन्द कोठारी बम्बई, परिचय दिया जाय जिन्होंने साहित्य, जाति और बाबूलाल डरिया बाबई, सौ. विद्यावती देवडिया, अपने राज्यकी अनुपम एवं आदर्श सेवा की है। नागपुर । वार्षिक मूल्य २) । संस्थाओं, छात्राओं सामाजिक और राष्ट्रीय प्रवृत्तियोंकी चर्चा तथा देश- तथा महिलाओंसे १)।