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अनेकान्त
[वर्ष ८
लोदीने जौनपुरके बादशाह हुसैनको हराया था और प्रसिद्धिमें आरहा है । वहाँ आज भी जैनियोंके तब कुल्वखा रपरीका जागीरदार बनाया गया था, प्राचीन वैभवकी झाँकीका एक स्मृति-पट चित्तपर जिसके अधिकार में इटावा और चन्द्रवाड भी शामिल अंकित होजाता है। मीलों तक ध्वंसावशेष दृष्टिगोचर थे। अनन्तर सिकन्दर लोदीने भी अपने भाईके होते हैं। यदि उन्हें खुदवाया जाय तो वहाँ जैनियोंके विरुद्ध बग़ावत कर बाबरको बुलाया। इस तरह कितने ही प्राचीन स्मारक प्राप्त हो सकते हैं। एक चन्द्रवाड और रपरीपर मुसलमानोंके आक्रमण वर्षमें वहाँ मेला लगता है, उस वार्षिक मेले में जो कुछ होते रहे । मुगलोंकी इस परिणतिसे असंतुष्ट होकर यात्री आजाते हैं, वे अपने पूर्वजोंकी गौरवगाथाका सांगाने मुसलमानों पर आक्रमण किया, किन्तु वह स्मरणकर चले जाते हैं, किन्तु वे यह प्रयत्न कभी नहीं चन्द्रवाडके ही युद्ध में हुमायूँ से पराजित हो गया, करते कि अपनी संस्कृति के बहुमूल्य जो ध्वंसावशेष अतएव कुछ समय तक उसे मुगलोंके कब्जे में और अथवा खण्डहर मौजूद हैं उनके इतिहासको संकलित रहना पड़ा'। इस तरह जब हम इन प्रदेशोंके करानेके लिये समाजका ध्यान आकर्षित किया जाय । ऐतिहासिक श्राख्यानों पर दृष्टि डालते हैं; जो समय इस तरहक और अनेक महत्वपूर्ण स्थान पड़े हुए हैं, समय पर वहाँ गुजरे हैं। तो उनकी समृद्धिका जिनका उद्धार करना महान् पुण्यबन्धका कारण है। केवल अनुमान ही किया जा सकता है। परन्तु आज वे सब स्थान ऐतिहासिक दृष्टिसे बड़े महत्वके है। जब हम कई मील तक उनके ध्वंसावशेषों (खंडहरों) आशा है समाजके विद्वान और श्रीमान इस ओर को देखते हैं तब उनकी उस दुर्दशा पर भारी ग्वेद ध्यान देंगे, और चन्द्रवाड आदिकं पुरातत्वका उद्घाटन होता है।
और संरक्षणकर पुण्य तथा यशके भागी बनेंगे। प्रस्तुत चन्द्रवाड वर्तमानमें अतिशयक्षेत्रके नामस वीरसेवा मन्दिर, सरमावा १ देखो, जैनसिद्धांत भास्कर भा० १३ कि० २ ।
'अनेकान्त' नामके मामिक पत्रसे जैन-समाज भलीभाँति परिचित है, उसका प्रत्येक अङ्क संग्रहकी वस्तु है । उसके प्रत्येक अङ्कमें ऐतिहासिक महत्वकी पठनीय सामग्रीका मंकलन रहता है। ऐसे उपयोगी पत्रकी वप ४, ५, ६, ७ की कुछ फाइलें अवशिष्ट हैं। जिन विद्वानों और संस्थाओं आदिको चाहिए, वे अपनी अपनी फाइलें रिजर्व करालें, रिजव करानसे ये फाइलें भाद्रमास तक मुद्रित मूल्यपर ही मिल सकेंगी अन्यथा, बादको दूसरे, तीसरे वर्पके समान अप्राप्य हो जावेगी।
और मनीआर्डरसे मूल्य भेजनेपर उन्हें पोस्टेज खर्च भी नहीं देना पड़ेगा। किन्तु वी० पी० से मँगाने वालोंके लिये यह रियायत नहीं है । फाइलोंका मूल्य इस प्रकार है :वर्ष ४ ३) - वर्ष ५ ३) - वर्ष ६ ४) -- वर्ष ७ ४)
मैनेजर 'अनेकान्त' वीरसेवामन्दिर, सरसावा [सहारनपुर]