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आवश्यक सूचना
गत किरणमें अनेकान्तके प्रकाशनमें होनेवाली विलम्ब- ध्यान दिलाया गया उन्होंने क. मा.को कुछ लिखा और तब पर अपना भारी खेद व्यक्त करते और उसके कारण एवं कंट्रोलर साहबने परमिट वापिस मँगाकर उसे होलसेलरों तजन्य अपनी मजबूरीको बतलाते हुए यह आशाकी गई और डिस्ट्रीब्यूटरों दोनोंके नामपर कर दिया साथ ही थी कि अगली किरणोंका मैटर शीघ्र ही प्रेसमें जाकर वे सहारनपुरका कुछ कोटा भी बढ़ गया । ऐसा होनेपर भी प्रेस के श्राश्वासनानुसार जल्दी छप सकेंगी और कुछ समयके कितने ही असेंतक मिलोसे डिस्ट्रीब्यूटरों के पास २०४३० भीतर ही विलम्बकी पूर्ति हो जायगी। परन्तु जिस ह्वाइट साइजका कागज नहीं पाया, जो अपने पत्र में लगता है, प्रिंटिंग कागजपर अगली किरणकि छापनेकी सूचनाकी गई और कुछ अाया भी तो वह अपने को नहीं मिलमका पाखिर थी उसका परमिट तो मिलगया था किन्तु कागज नहीं मिला ८ दिसम्बरसे कागज मिलना शुरू हुश्रा, जो मिलते ही था। कागजके लिये कितनी ही बार सहारनपुर के चक्कर प्रेमको पहुँचा दिया गया जिसके पास मैटर पहलेसे ही छग्ने लगाने पड़े और प्रत्येक होलसेलर (wholeseller) को गया हुअा था। प्रेसको अपना कुछ टाइप बदलवाना को उसके देने के लिये प्रेरणा की गई परन्तु सबने टकासा था, इससे उसे छपाई प्रारम्म करने में देर लगगई और जवाब देदिया और कह दिया कि हमारे पास श्रापके मतलब इस तरह देरमें और देर होगई ! का कागज नहीं है । मालूम यह हुआ कि सहारनपुर जिलेका
यह सब देखकर विलम्ब की शीघ्र पूर्ति की कोई अाशा कोटा तो कम है और परमिट अधिकके कटे हुए हैं. ऐसी
नहीं रही, और इसलिये किरणोके सिलसिलेको ही प्रधान:: हालतम माँगके अधिक बढ़ जानेसे अक्सर व्यापारी लोग
अपनाया गया है। अर्थात् इस संयुक्त किरणको जून जुलाई (हालसलर्स) श्राते ही माल को प्राय: इधर उधर कर देते की न रखकर नवम्बर-दिसम्बर की रखा गया है और है-दुकानोपर रहने नहीं देते-और फिर ड्योढे दुगुने
किरणका नंबर पूर्व सिलसिलेके अनुमार ही ६-७ दिया दामोपर बलैकमार्केट द्वारा अपने खास व्यक्तियोंकी म र्फत
गया है। किरणे पूरी १२ निकाली जाएंगी-भले ही बेचते हैं । यह देखकर डिस्ट्रव्यूटरों (distributors)
कुछ किरणें संयुक्त निकालनी पड़े, परन्तु पृष्ठ संख्या जितनी के पाससे कागज के मिलनेकी व्यवस्थाके लिये परमिटमें
निर्धारित है वह पूरी की जावेगी और इससे पाठकों को कोई सुधार करदेने की प्रार्थना कीगई परन्तु पेपर कंट्रोलर साहबने
अलाभ नहीं रहेगा । हम चाहते हैं यह वर्ष श्राषाढतक उसे मंजूर नहीं किया-अर्थात् अपनी हंडी तो खड़ी रक्खी
पूरा कर दिया जाय और वीरशासनजयन्तीके अवसरपर परन्तु उसके भुगतान की कोई सूरत नहीं निकाली !! लाचार श्रावणसे नया वर्ष शुरू किया जाय और उसके प्रारंभमें देहली में । क. पेस एडवाइजरी बोर्ड के मेम्बर के सामने अपना
दी एक खास विशेषाङ्क निकाला जाय। रोना रोया गया और इम सरकारी व्यवस्थाकी अोर उनका
सम्पादक
MUM