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अनेकान्त
[वर्ष ८
नेहरुका जन्मदिन सोसाह मनाया गया। न्यूयार्क (अमेरिका) हस्तक्षेप नहीं कर सकती। भारतका विधान बनानेके लिये में स्थित भारतीय स्वातव्य सभाकी राष्ट्रीय समिति द्वारा विधान परिषद अपने ऊपर लगाई पाबन्दियोंको तर दंगी। इस उत्सवका प्रायोजन विशेष महत्वपूर्ण रहा। उसमें अन्य देशोंने भी जब विधान परिषदें चुनकर उन्हें विधान अमेरिका, रूस, चीन, इंगलिस्तान, फिलीपाइन द्वीपसमूह, बनानेका काम सोपा तो उन्हें भी इस प्रकारकी कठिनाइका अफगानिस्तान, लेबिनन श्रादि राष्ट्रोंके प्रतिनिधि सरकारी सामना करना पड़ा था। हम भी अन्त में उन्हीं देशोंकी भाँति तौरपर सम्मिलित हुए थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडलकी नेत्री कठिनाइयोंपर विजय प्राप्त कर लेंगे।' जीमती विजयलक्ष्मी पंडित भी उपस्थित थीं। चीनी राजदूत स्वर्गीय मालवीयजी-भारतभूषण महामना पं.. डा. विलिङ्गटन कृ उत्सवके प्रमुख वक्रा थे, आपने कहा कि
मदनमोहन मालवीयका ८५ वर्षकी श्रायमें गत १२ नवम्बर 'यह वर्षगांठ उन (पं०नेहरू)के लिये तथा उस देशके लिये
को काशीस्थ अपने निवास स्थानपर स्वर्गवास गया. उनकी जिसके कि वे श्राज वास्तविक कायिक्ष हैं, नवजीवनकी
मृत्युका निकट कारण नोग्राग्वालीमें हिन्दीपर किये गये सूचक है।' श्रीत कृष्ण मेननने कहा 'उन्होंने अन्तराष्ट्रीय
भीषण अत्याचारोंका धक्का था जिसे ये हिन्दुप्राण महामना, संपारमें भारतवर्षको एक स्वतन्त्र राष्टकी भाँति कार्य करने
अत्यन्त बृद्ध तो थे ही, सहन न कर सके। स्व. मालवीयजी योग्य बन दिया है। यहां न्यूयार्क में हम अब 'अपने मालिकों
अपने समयके सबसे पुराने देशभ, जातिभक सार्वजनिक की प्रतिध्वनि मात्र' नहीं रहगये हैं जैसा कि हम वर्सेह तथा
कार्यकर्ता थे । अापने लगभग ६० वर्ष पर्यन्त निरन्तर जनवा रहे थे।' विलियम फिलिप्पने कहा कि 'सर्वोच्च
स्वदेश और स्वजातिकी अथक सेवाकी, चार बार अ. भा० भारतीय नेताकी वन्दना करना में अपना सौभाग्य समझता
कांग्रेपके सभापति हुए, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय जैसी हैं।' हेनरी वेलेसने नेहरूजीको संसारके सर्वोच्च नेताओंमेंसे
महान संस्थाकी स्थापना की और उसे अपने वर्तमान उसात एक माना । और सुमनेर वेल्सने उनकी हृदयमे प्रशंसाकी।
रूपको पहुंचा दिया । धारापभानोंमें दी गई श्रापकी लंदनमें इंडिया लीगकी पोरसे प्रो० हल्दानेके सभा
भोजपूर्ण लम्बी २ वताएँ स्मरणातीत रहेंगी। कटर पतित्यमें यह उत्सव मनाया गया जिसमें पार्लमेंटके सदस्य
सन तनी होते हुए भी श्राप उत्कट समाज सुधारक थे। मि. जुलियस सिलवरमेनने कहाकि 'नेहस्की राजनैतिक
महात्मागांधी श्रादि सभी राष्ट्रीय तथा जातीय नेताओं और दृष्टि विश्वभरमें सर्वाधिक प्रशस्त है। उन्होंने जीवनभर
भारतीय तथा विदेशी राजनीतिज्ञोंके श्राप जीवनभर श्रद्धाभारतके लिये कष्ट सहन किरे, किन्तु उनसे उनमें कटुता
भाजन बने रहे। श्राप सच्चे अर्थों में भारतभूषण और नहीं आई ।' स्वर.ज्य हाउस द्वारा भी यह उत्सव मनाया
महामना थे। श्रापके निधनमे भारतवर्षमें सर्वत्र शोककी गया था और उसमें वकार ने कहा कि 'नेहरू जी हमारे
लहर व्याप्त होगई । हमारी हार्दिक भावना है कि स्वर्गीय युगके सर्वश्रेष्ठ समाजवा. विचारक हैं।'
श्रामाको शान्ति एवं सद्गति प्राप्त हो। विधान परिसदके अध्यक्ष-विहार रग्न डा० श्रद्धेय मालवीयजीके निधनपर देशके विभिन्न नेताओंने राजेन्द्रप्रसाःजीने ३ सम्बरको अपने जीवनके ६३ ३ वर्ष अपने २ जो उद्गार व्यक्त किये हैं उनमेंसे कुछ इस प्रकार में प्रवेश किया है। इस इपलक्षमें देशने सर्वत्र श्रापका अभि- हैंनन्दन किया है अाप भारतीय विधानपरिषद के प्रथम स्थान पं. जवाहरलाल नेहरू-' पृ.ब हमें वह रमकता अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं जिसका कि कार्य प्रारंभ होगया है, हा सितारा और नहीं देख पड़ेगा जि.सने कि हमारे यपि लीगकी अनिश्चित नीति और सम्राटकी सरकारके जीवनको प्रकाशित किया था श्री हमारे बचपनसे ही हमें अप्रत्याशित हस्तक्षेपोंके कारण उसके भविष्य के संबंधमें सदप्रेरणायें दी थीं। वे (मालवीयजी) अब स्वतन्त्र भारत के अभी निश्चित कुछ नहीं कहा जा सकता तथापि अध्यक्ष पद उस प्रतिष्टित भव्य भवनमें रहेंगे जिसे नींक्से शिखर पर्यंत का भार संभालते समा डा. राजेन्द्रप्रसादजीने स्पष्ट बोषणा उन्होंने निर्मित किया है। मुझे उसदिनकी सजीव स्मृति करदी है कि विधानपरिषदकी कार्यवाही में कोई बाह्य सत्ता है जब, कितने ही वर्ष हुए, मैं पुरानी साम्राज्य-व्यवस्था