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प्राचीन जैनमन्दिरोंके ध्वंसावशेषोंसे निर्मित मस्जिदें
पुरानी दिल्लीकी मस्जिदसर्वप्रथम तो मुसलिम विजेताओंकी और जाय कि उनका स्थान परिवतन नहीं किया गया तो
भी यह तो प्रत्यक्ष है कि मुसलमानोंने र नके चौगिर्द मन्दिरके स्तंभपूर्ण सभामंडपों में वह सर्व सामग्री प्राप्त
दीवारें खड़ी करदी, क्यों कि सभी सूत्रपथ' उनकी होगई जो कि एक बनी बनाई मस्जिदके लिये आव
अपनी शैलीकी सजावटसे ढके हुये हैं अंर उनके श्यक होती। जो कुछ करना था वह केवल इतना ही
समस्त खुले (उघड़े) हुए भागों में नुकीली महरायें कि भवनके बीच में स्थित जैन मन्दिर ( वेदीगृह )
___ बनी हुई हैं जिनका कि भारतीय कभी उपयोग को हटा दिया जाय और पश्चिमी दिशामें महराबों
नहीं करते । सब बातो को ध्यानमें रखते हुए सभासे अलंकृत एक नई दीवार खडी करदी जाय. जो
वना यही प्रतीत होती है कि मुसलमानों ने समूची कि खुदाके बंदों (मुसलनानों) को उस दिशाका निर्देश
इमारतको पुनः संयोजित करके उसे उसका वर्तमान करती रहे जिसमें कि मक्का अवस्थित है, और
अवस्थित रूप दिया है। कनोगे' की प्रख्यात मस्जिद जिसकी ओर, जैसा कि सब प्रसिद्ध है, नमाजके
प्राचीन काहिरामें स्थित अमरूकी मस्जिदकी योजना वक्त मुह करके खड़े होनेकी कुरानमें उनके लिये
के बिल्कुल समकक्ष ढंगपर पुनः संयोजित एक जैन आज्ञा है। किन्त यह निश्चयमे नहीं कहा जा सकता
मन्दिर ही है, इम में तनिक भी सन्देह नहीं है । छत कि भारतवर्ष में वे कभी मात्र इतनेसे ही सन्तुष्ट रहे
और गुम्बद सय जैन स्थापत्यकलाके हैं जिससे कि हों । कमसे कम इन दो उदाहरणों में जिनका हम
अन्दरूनी हिस्सेमें मूर (मुसलमानी-अरबी) शैलीका उल्लेख करने जा रहे हैं, उन्होंने, उपयुक्त परिवतन कोई भी चिन्ह दृष्टिगोचर नहीं होता; किन्तु बाहरी के अतिरिक्त, जैन स्तंभोंके आगे महराबोंका एक
भाग उतना ही विशुद्ध मुसल्मानी कलाका है । मडू परदा उठानेका और उसे अति यत्नपूर्वक निर्मित के निकट धार स्थानमें एक अन्य मस्जिद है जो तथा सर्वप्रकार सम्पन्न प्रचुर खुदाई-कटाईकी कारी- अपेक्षाकत अर्वाचीन है और निश्चय ही एक जैन गरीसे जो कि उनकी भारतीय प्रजा निमाण कर मन्दिरका पनोजित रूप है। एक दूसरी मस्जिद सकती थी, अलकृत करनेका भी निश्चय किया। जानपरके किलमें तथा अहमदाबाद व अन्य स्थानो ___ यह निणय करना तनिक कठिन है कि किस हद को अनेक दूसरी मस्जिदें-सब ही, जैनमन्दिरों तक ये स्तंभ उसी रूप और क्रममें अवस्थित हैं जिसमें को तोड़ फोड़कर और उनसे प्राप्त सामग्रीकी एक कि भारतीयोंने उनकी मूलतः योजनाकी थी, अथवा विभिन्न योजनानुसार पुनर्योजना करनेके ढंगको किस हद तक विजेताओंने उन्हें स्थानभ्रष्ट करके सूचित करती हैं। अस्तु, यदि कुतुबकी मस्जिदवाले पुनः संयोजित किया । यदि यह मान भी लिया स्तंभ पूर्ववत् अवस्थित रहते तो यह एक अपवाद