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अनेकान्त
[ वर्ष ८
१६रालु ते जपान' गवलु मदन गालु १८ रावल कृत- (वर्ष) राजु कया । पलु १रावल लखपालु २० राणा पृथ्वीपाल
संवत् १२६३ वर्षे सुखितानु कुतुबहीन ऐवक''गुलाती राजावनी ॥छ।
मवंश) राजुवर्ष ३ । संवत १२६६वर्षे सुलितानु समसुन'२ ततः संवत् १२१ वर्षे तोमर रजानुपमत चौहाण (शमसुद्दीन मतमश) वर्ष २६ राज ( ज्यं कृत । बंमि रावल बोयनराजुलियो १ प्रमागंगेय २ प.थई" संवत् १२१२ वर्षे गजा पेगेशाहि (फिरोजशाह) (पृथ्वीराज द्वनीय) ३ मोमेमस रावलु पीथरु' (पृथ्वीराज राज्यं कृतं माप ६ वर्ष ३ । संवत १२१७ सुलि तानु मृतीय) गवलु बाहलु नागद्यो ( नागदेवः ) . राबलु मौजुदीन (मुइजुद्दीन बहरामशाह) वर्ष ३ राज्यं कृतं । पृथ्वीराज ८ इतने चौहाण हुए।
संवत ११ वर्षे सुलितानु अलावदी (मलाउद्दीन संवत् १२४६ वर्षे चत्रवदि २ तेजपाल ढीली लाई, मसूदशाह) राज्यं कृत"वरष (र्ष) २। पृथ्वीराजको सबकु वरवायजपाजकीपुत्र दिवाकर बांधलियो संवत १३.१ सुलितानु नपारदी (नामिदीन मह
संवत् १२४६ वर्षे चैत्रसुदी २ सुखितान महाबुद्दीन मूदशाह) वर्ष २१ गज्यं कृतं'६ । सं. १३२३ चैत्रदि २ ( शहाबुद्दीन तुकवंश ) गजनीतहिं पायो। १४ बरस १०महाम० गौरीशंकर हीगचन्दजी श्रीझ कृत राजपूतानेका १ यह नाम ग्वालियर की ख्यातम पाया जाता है।
इतिहाम प्रथमजिल्दके परिशिष्ट नं.६ में दिल्ली के सुल२२० व नम्बर पर 'पृथ्वीराज' नाम दिया है और उसका तानोंकी वंशावलीम शहाबुद्दीनगोगका राज्यकाल वि.
राज्यकाल २२ वर्ष २ मदाने १६ दिन बतलाया है दवा मं० १२४६ मे १२६२ नक १४ वर्ष बतलाया है। अत: नागरी प्र. पत्रिका भाग १ पृ. ४०५ ।
दानीका ममय परस्पर मिल जाता है । अागेके नोट इसी ३ श्रीमान श्रामा जान तोमर वशियास चौहानों द्वारा दिल्ली वंशावलीके श्राधार से दिये गए है।
लेने का समय वि० सं० १२०७ क लगभग बतलाया है। ११अाझा जीकी उक्त वंशावलीमें कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद वि. ४ यह अणोराजका पत्र और जगदेवका छोटा भाई था । वार सं० १२६३ से १२६७ तक पारामशाद के राज्य कैग्नेका
तथा पगकामा गा और अपने ज्येष्ट भातास गज्य छीनकर उल्लेग्व किया गया है । यह उल्लेग्व गुटककी सावली उसका अधिकारी बना था।
में नहीं है। -देवी, भारतके प्रा० राज. भा. १ पृ. २४५ १२वंशावलीमें वि० सं० १२४७ से १२६३ तक शमसुईन ५ यह विग्रहगज (वासलदेव चतुथ) का पुत्र या और अपने अल्तमशके राज्यका उल्लेख किया गया है। पिताक बाद राज्य का उत्तराधिकाग था। प्रबन्धकोषक १३उपर्युक्त वंशावलीमें रुस्नुद्दीन फीरोजशाहका वि० मं० अन्तका वंशावलाम इस वासलदेव क. बाद अमरगंगेयका १२६३ वें में राज्य करना बतलाया है और उसी सं. श्राधकारा हाना लिखा है।
१२६३ में रजियाबेगमके गज्य करनेका उल्लेग्व भी ६ प्रबंधकोशका वंशावलीम श्रमगंगेयके बाद पेथड देवको किया गया है । परन्तु गुट में पेगन या फीगेजशाहका ही
अधिकारी होना लिम्बा है। यह जगदेवका पुत्र श्रार ३ वर्ष ६ महीना गज्य करना लिखा है, जो चिन्तनीय है। वामल देवका भतीजा था। इसने श्रमगंगेयसे राज्य छीना १४वंशावलीमें मुइजुद्दीन बहरामशाद का गज्यकाल वि० सं० था और यह पृथ्वीराज द्वितीय कहलाता है।
१२६७ से १२६ तक दो वर्ष बतलाया है, परन्तु गुटके , यह अागजका तृतीय पुत्र था और पृथ्वीराज द्वितीयका की गजावलं में ३ वर्ष लिखा है।
चाचा। और पृथ्वीराज द्वितीयके बाद उसके मात्रया द्वारा १५इसका राज्य वि० सं० १२६६ मे १३०३ तक ४ वर्ष राज्यका उत्तराधिकारी घोषित किया गया था।
रहा। -देवी, राजपू० का इतिहास भाग १ परि नं.६ ८ इन तीन राजाका अन्यत्र कोई उल्लेख नहीं मिलता। १६अोझाजीकी उक्त वंशावलीमें इसका नाम नासिरुद्दीन ६ संवत् १२४६ में किस तंजलने दिल्ली ली और दिवाकर मुदम्मदशाह दिया है और राज्यकाल वि० सं० १३०३
ने उस कब बौधा, यह कुछ मालूम नहीं हो सका। से १३२२ तक १६ वर्ष बतलाया है।