Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुदशिनो टोका अ०१ सू० ११ प्राणिवधप्रयोजनप्रकारवर्णनम् ५१
टीका-'इमेहिं' एभिः वक्ष्यमाणैः 'विविहेहिं' विविधैः नानाप्रकारैः 'कारणेहि कारणैः वक्ष्यमाणपयोजनैः सान् प्राणान् घ्नन्ति अबुधा जनाः इत्यग्रेण सम्बन्धः । 'किं ते' कानि तानि प्रयोजनानि ? इत्याह-'चम्मे 'त्यादि । 'चम्म' चर्म-शरीरत्वचा, तदर्थ यथा 'चर्मणि द्वीपिनं हन्ति' इत्यादि । 'वसा' वसा-शरीरस्थधातुविशेषः, 'चर्वी ' इति भाषा, 'मंस' मांस, मेदो-देहस्थ चतुर्थधातु
इस प्रकार प्राणिवध के प्रकारों को कहकर अब सूत्रकार उसके प्रयोजन के प्रकारों को कहते हैं-इमेहिं विविहेहिं ' इत्यादि।
टीकार्थ-जो अबुध-अज्ञानी मनुष्य हैं वे (इमेहिं) इन वक्ष्यमाण (विविहेहिं) नानाप्रकार के (कारणेहिं) प्रयोजनों के वशवर्ती होकर (हिंसंति तसे पाणे) त्रस जीवों की घात करते है। इस प्रकार का संबंध १३वें सूत्र में कथित " अबुहा इह हिंसंति तसे पाणे" इन पदों को लेकर यहां लगा लेना चाहिये । (किं ते ) जिन प्रयोजनों को लेकर अज्ञानी-प्राणी त्रस जीवों की हिंसा करते हैं वे प्रयोजन क्या २ हैं-इसी विषय को सूत्रकार " चम्म-वसा-मंस-मेय" इत्यादि पदों द्वारा स्पष्ट करते हैं, वे कहते हैं कि ( चम्म-वसा-मंस-मेय-सोणिय-जग-फिप्फिस-मत्थुलिंग-हियअंत-पित्त-फोफस-दंतहा ) अबुधजन जो इन प्राणियों की घात करते हैं उसमे कितनेक प्राणियों का उनकी (चम्म ) त्वचा प्राप्त करने का प्रयोजन रहता है इसलिये वे उनका घात करते हैं, कितनेक प्राणियों का उनकी (वसा ) ची प्राप्त करने का उद्देश्य होता है, कितनेक
આ પ્રમાણે પ્રાણવધના પ્રકારે વિષે વાત કરીને હવે સૂત્રકાર તેના કયા या तुम जय छे ते मतावे छे-" इमेहिं विविहेहिं " त्यादि.
थ-मध-अज्ञानी मनुष्यो छे तसा "इमे हिं" या प्रमाणे "विविहे हिं" विविध प्रा२i “कारणेहिं" प्रयोगनने १२ ५४ने “हिंसति तसे पाणे" ત્રસ જીવને ઘાત કરે છે. આ પ્રકારનો સંબંધ ૧૩ માં સૂત્રમાં કહેલ " अबुहा इह हिंसति तसे पाणे " म! पहानी साथे
त्यानन्य. "किंते" જે હેતુને ખાતર અજ્ઞાની–જીવ ત્રસ જીવોની હિંસા કરે છે તે હેતુઓ કયા કયા छे-से विषयने सूत्रा२ " चम्म-वसा-मंस-मेय" छत्याहि पह! द्वारा २५५८ ४२ छ. ते ४ छ ॐ "चम्म, वसा, मस, मेय, सोणिय, जग, फिप्फिस, मन्थुलिंग हिय, अंत, पित्तफोफस, दंतवा” मध सोते प्राणीमानी २ हिंसा ४२ छ तमा रतु tais प्राणीयानी मागतमा तेभर्नु "चम्म" शाम पास ४२वानी डाय छ eis प्राणीमानी “वसा" यरणी प्रात ४२१॥ भाटे भने। १५ ४२राय छ,,
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર