Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्नव्याकरणसूत्रे पृथिवीकायिकादयः 'चइय' त्याजिताः दातव्यपदार्थात् दायकेन भृत्यादि द्वारा पृथकारिताः, अथवा 'चत्ता' स्वयमेव दायकेन त्यक्ताः पृथक्कृता देहा:= जीवशरीराणि यस्मादाहारात्तत् तथोक्तम् , अतएव 'फासुयं च ' प्रासुकं च= व्यपगतजीवं च, एतादृशम्-माहारमशनादिकं गपेषितव्यम् । तथा कीदृशं भैक्षं न गवेषितव्यम् ? इत्याह-'न निसिज्जकहापयोयणक्खासु ओवणीयं ' न निषद्य कथाप्रयोजनाख्याश्रुतोपनीतं, तत्र-निषद्य आसने उपविश्य यत् कथाप्रयोजन-धर्मकथानिमित्तम् आख्या श्रुतम् आख्यान प्रतिवद्धशास्त्रं, तेन तथाविधकथाकरणेन, यत् उपनीतम्-धर्मकथाकत्रे दायकेन दातुमानीतमशनादिकं, तन्न गवेषितव्यमित्यग्रेण सम्बन्धः । तथा-'न तिगिच्छामंतमूलभेसज्जकज्जहेउं । न चिकित्सामन्त्रमूलभैषज्यकार्य हेतु = चिकित्सा-रोगनिवारणलक्षणा, मन्त्र:= आहार से पिपीलिकादिक जीव स्वयं अलग हो गए हों तथा (चुय ) जीव स्वयं चव गये हों अथवा अग्न्यादि के संयोग से चवगये हों, ( चइय ) दाता ने भृत्यादि द्वारा पृथक् करा दिये हों, ( चत्त ) स्वयं दाता ने पृथक् करदिये हों, ( फासुयं च) प्रासुक ऐसा अशन आदि मुनिजनों को कल्प्य है और ऐसे ही आहार की उन्हें गवेषणा करनी चाहिये । तथा जो ऐसा न हो उसकी उन्हें गवेषणा नहीं करनी चाहिये, इसी विषयको अब सूत्रकार "न निसिज्ज" इत्यादि पदो द्वारा प्रकट करते हैं, वे कहते हैं कि (न निसिज्जक कहापओयणक्खामु ओवणीयं) आसन पर बैठ कर धर्म कथा सुनाते समय यदि कोई दाता उन मुनिजन के पास देने के लिये अशनादि देय द्रव्य लाया हो तो वह उन मुनिजनों को कल्पता नहीं लेना है । तथा-( न तिगिच्छामंतमूलभेसज्जकजहे) जिस भक्ष्य की प्राप्ति में मुनि को चिकित्सा-रोगनिवारण के निमित्त हाय अथवा मनि माहिना सयोगथी न पाभ्या हाय, (चइय) होतामे नो द्वारा मता ४२व्या डाय, (चत्त ) होता. ते तेभने सध्या हाय, (फासुयंच ) प्रासुकमेव माडा२ माहि भुनियाने ४८ छ भने सेवा જ આહારની તેમણે ગવેષણ કરવી જોઈએ, તથા જે આહાર એ ન હોય તેની ગવેષણ તેમણે કરવી જોઈએ નહીં. એ જ વિષયને હવે સૂત્રકાર “ निसिज्ज" त्यादि यो द्वारा प्रगट ४२ छ. तेया मतावे (न निसिज्जकहायओयणकखासुओवणीय) मासने मेसीन था समाती मते ने કોઈ દાતા તે મુનિને આપવાને માટે અશનાદિ દયદ્રવ્ય લાવ્યા હોય તે તે निनाने ४५ता नथी, तथा (नतिगिच्छामंत मूल भेसज्जकजहेउ) रे આહારની પ્રાપ્તિ માટે મુનિને ચિકિત્સા–રેગ નિવારણ માટે ઈલાજ, મંત્ર
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર