Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्रव्याकरणसूत्रे श्रृङ्गम् , शैलः-शिलेव शैलः-पाषाणः, काचा प्रसिद्धः, वरचैल श्रेष्ठवस्त्रम् , चर्म= व्याघ्रादिचम एभिनिर्मितानि पात्राणि कीदृशानीमानि ? ' महारिहाई ' महार्हाणि बहुमूल्यानि तथा-' परस्स' परस्य-स्वभिनन्नजस्य ' अज्झोपवायलोभजणणाई' अध्युपपातलोभजननानि, तत्र-अध्युपपात: ग्रहणैकाग्रचित्तता, लोभः = मूर्छा तयोर्जननानि-उत्पादकानि यानि तानि एतानि ‘गुणवओ' गुणवता मूलगुणादि सम्पन्नस्य मनसापि - परिकडिर' परिकर्षयितुम् आदात्तुं न कल्पन्ते, तथा'न यावि' न चापि-नैब ' संजयाण' संयतानां, 'ओसहभेसज्जभोयणट्ठयाए'
औषधभैषज्यभोजनार्थतया, तत्र औषधम्-एकद्रव्यनिष्पादितम् , भैषज्यम्=अनेक द्रव्यनिष्पादितम् , भोजनं च प्रतीतमेव, एषामर्थतया प्रयोजनाय, 'पुष्फफलकंद का पात्र, शैल-पाषाण का पात्र, कांच का पात्र, सुन्दर वस्त्र का और व्याघ्र आदि के चर्म का पात्र, वह जो साधु के मूलगुणों से युक्त है मन से रखने की चाहना नहीं करता है। अर्थात् मैं इन लोहादिकों से निर्मित हुए पात्रों को रखलूं इस प्रकार का वह विचार भी मन में नहीं लाता है, क्यों कि धातु अथवा मणि आदिकों के बने हुए पात्र ( महारिहाई ) बहुमूल्य वाले होते हैं, तथा (परस्स अज्झोववायलोभजणणाई) दूसरों में अध्युपपात और लोभ इनके उत्पादक होते हैं। चित्त में ग्रहण करने की एकाग्रता का बना रहना इसका नाम अध्युपपात और उनमें मूर्छाभाव का होना इसका नाम लोभ है। इसी तरह (संजयाणं) सकलसंयमीजनों कों (ओसहभेसज्जभोयणढाए ) औषध एक द्रव्य से बनाई गई दवा, भैषज्य-अनेक द्रव्यों के मेल से बनाई गई दवा, तथा भोजन-आहार इनके प्रयोजन के निमित्त (पुप्फफलकंदमूलाइयाइं) શેલ પથ્થરનું પાત્ર, કાચનું પાત્ર સુંદર વસ્ત્રનું કે વ્યાઘચર્મ આદિનું પાત્ર, તે પ્રકારના પાત્રને સાધુને મૂળ ગુણેથી યુક્ત હોય તે સાધુ રાખવાની મનમાં ઈચ્છા પણ કરતો નથી. એટલે કે આ હાદિકથી નિર્મિત પાત્રને ગ્રહણ કરૂં તે પ્રકારને વિચાર પણ તેના મનમાં થતું નથી, કારણ કે ધાતુ અથવા મણિ माहिमाथी मनास पात्र " महारिहाई” घi भूल्यवान डाय छ, तथा "परस्स अज्झोववायलोभजणणाई" भीमा मयु५यात मनोमन अत्पाદક હોય છે. તે પ્રાપ્ત કરવાની ચિત્તમાં ઉત્સુક્તા રહ્યા કરવી તેનું નામ અબ્દુપપાત છે અને તેમનામાં મૂચ્છ ભાવ હવે તે લેભ કહેવાય છે. એ જ प्रमाणे " संजयाण” स४ सयभी नये " ओसहभेसज्जभोयणदाए" ઔષધ-એક દ્રવ્યમાંથી બનાવેલી દવા, ભૈષજ્ય અનેક દ્રવ્યોના મિશ્રણથી બનાवेसी ४ा, तथा मोसन मा.२,
२ ५योगने निमित्त “पुप्फ फल कंदमूला
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર