Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 982
________________ - - - ९२४ प्रश्रव्याकरणसूत्रे =वक्ष्यामाणपदार्थेषु स्थितान् साइय' स्वादयित्वा अविरतगृहस्थावस्थायामास्वाद्य, 'किं ते ' काँस्तान केषु केषु पदार्थेषु स्थिताँस्तान् ? इत्याह-'उग्गहिमविविहपाणभोयणगुलकयखंडकय तेलघयकयभक्खेसु ' अवगाहिमविविधपानभोजनगुडकतखण्डकृततैलघृतकृतभक्ष्येषु-तत्र-अवगाहिमानि अवगाहनेन धृततैलादिषु बोलनेन पाकतो निष्पन्नानि यानि तानि पक्कान्नानि खण्डखाद्यादीनि ‘अवगाहिमानि' कथ्यन्ते, तथा-विविधानि=बहुविधानि पानभोजनानि, तथा-गुडकृतानि-गुडेन निष्पादितानि, खण्डकृतानि खण्डेन निष्पादितानि, तैलघृतानि तैलेन घृतेन च ही धारण करना चाहिये, इसी विषय को सूत्रकार विशेषरूप से इस सूत्र द्वारा समझाते हैं-(जिभिदिएण ) साधु जिह्वा इन्द्रिय से ( मणुण्ण भद्दगाई रसाणिउ ) मनोज्ञ-भद्रक रसको ( साइय ) अस्वादित करके उसमें राग आदि न करे इस प्रकार का यहां संबंध लगा लेना चाहिये, (किं ते ) यह मनोज्ञ रस किन २ पदार्थों के सहारे रहता है, इस प्रकार की आशंका का उत्तर देने के निमित्त सूत्रकार यहां उन कितनेक पदार्थों के नाम निर्दिष्ट करते हैं (उग्गाहिमविविहपाणभोयणगुलकय. खंडकयतेल्लघयकयभक्खेसु) घृत, तैल आदिका जिनमें पहिले भोंन (तला जाता) दिया जाता हैं और फिर बादमें जो उनमें ही चुरोये जाकर पकाये जाते है ऐसे खाजा आदि पक्वान्न अवगाहिम कहलाते हैं तथा अनेक प्रकारका जोपान भोजन होताहै वह विविध पान भोजन कहलाता है गुड मिला कर बनाया गया' एवं खांड मिश्रित कर बनाया गया विशेष भोजन गुड्कृत भोजन और खंडकृत भोजन कहलाता है । तैल ભાવ જ રાખવો જોઈએ. એ જ વિષયને સૂત્રકાર વિસ્તારપૂર્વક આ સૂત્ર દ્વારા सभन्न छ “ जिभिदिएण" साधुणे मथी “ मणुण्णभद्दगाई रसाणिउ" भनाश-लद्र २सन। “साइय" मास्वा ४शन तमा २ मा ४२व मे नही. " किं ते" से मनोज्ञ २स ज्या ज्या पहाभां डाय छ, ते प्रश्न ઉત્તર આપતા સૂત્રકાર અહીં એવા કેટલાક પદાર્થોના નામને ઉલ્લેખ કરે છે " उग्गाहिम-विविहपाण-भोयण-गुलकय-खंडकय-तेल्ल-घयकय-भक्खेसु" घी, तेस આદિનું જેમાં પહેલા જેમાં મેણુ દેવાય છે અને પછી તેમાં જ તળીને પકવવામાં આવે છે એવા ખાજા આદિ પકવાનને અવગાહિમ કહે છે. તથા અનેક પ્રકારના જે પાન (પી શકાય તેવા) ભેજન હોય છે તેમને વિવિધ પાન ભજન કહે છે, ગોળ નાખીને બનાવેલા ભેજનને ગુડકૃત અને ખાંડ નાખીને બનાવેલા ભેજનને ખાંડકૃત જન કહે છે. તેલ અને ઘીમાં બનાવેલ લાડુ શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર

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