Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्नव्याकरणसूत्रे
वनंदणकरा सोलसरायवरसहस्साणुजायमग्गा सोलसदेवी सहस्सवरणयणहिययदइया जाणामणिकणगरयणमौत्तियपवाल धणधण्णसंचया रिद्धिसमिद्धकोसा हय-गय-रहसहस्ससामी गामागर-णगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा-समसंबाह-सहस्सथिमिय निव्वुयप्पमुइयजणविविहसहस्सनिप्पजमाणमेइ
णी सरसरियतलाग-सेलकाणण-आरामुजाणमणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिण-वेयड्ड गिरिविभत्तस्सलवणजलपरिगयस्सछविह-कालगुणकमजुत्तस्स अद्वभरहस्स सामिया धीरकित्ति पुरिसा ओहबला अतिबला अनिहया ॥ सू०६॥
टीकाः-'भुज्जो' भूयः पुनःबलदेवा वासुदेवाश्च तेऽपि मरणधर्ममुपनमन्तीति सम्बन्ध कीदृशास्ते इत्याह- पवरपुरिसा' प्रवरपुरुषाः प्रधानपुरुषा 'महाबलपरकमो' महाबलपराक्रमाः महाबला महापराक्रमाश्च तत्र बलं-मानसिकशक्तिः पराक्रमः कायिकशक्तिः। 'महाधणुवियट्टगा' महाधनुर्विवर्तकाः-शाङ्गादिधनुर्विकर्षकाः,
फिर इस प्रकारके कौन होते हैं ? सो कहते हैं- भुज्जो बलदेवा' इत्यादि ।
टीकार्थ-(भुज्जो बलदेवा वासुदेवा य) देखो-फिर जो चलदेव और वासुदेव होते हैं वे भी काम से अतृप्त ही मरणधर्म को प्राप्त होते हैं, इस प्रकार से इस सूत्र की व्याख्या में संबंध लगा लेना चाहीये । अब ये बलदेव और वासुदेव कैसे होते हैं इसका वर्णन सूत्रकार करते हैं ( पवरपुरिसा ) ये बलदेव और वासुदेव प्रवर पुरुष-प्रधानपुरुष होते हैं (महाबलपरकमो) इनकी मानसिक शक्ति तथा कायिकशक्ति अनोखी होती है(महाधणुवियदृगा) शाङ्ग आदि धनुष्य के ये विकर्षक होते
qil मेवा ए डाय छ ? तो ४९ छे “ भुजोबलदेवा" त्या
-- "भुज्जो बलदेवा बासुदेवा य" qी २ वो मने वासुदेव जय છે તેઓ પણ કામથી અતૃપ્ત રહીને જ મૃત્યુ પામે છે, આ પ્રમાણે આ સૂત્રની વ્યાખ્યામાં સંબંધ સમજવાનું છે. હવે તે બળદેવ અને વાસુદેવ કેવા હોય છે, ते सूत्रा२ व ३ छ- “ पवरपुरिसा" ते पण भने वासुदेव प्रव२ ५३५प्रधान ५३५ डाय छे “महाबलपरक्कमो" तेमनी मानसि मने Rs शति मासुत राय छ " महाधणुवियदृगा” तो Auङ्ग मा धनुष्यना वि४५४
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર