Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्रव्याकरणसूत्रे वसितमोक्षगतिनिवासहेतुत्वात् ३४, 'अणासवो' अनाश्रवः-कर्मागमननिरोधकत्वात् ३५, 'केवलीणं ठाणं केवलिनां स्थानम्-तेषामाश्रयभूतत्वात् , अहिंसकस्यैवकेवलज्ञानं समुत्पद्यते इत्यर्थः ३६, ‘सिवं' शिवम्-उपद्रववर्जितत्वात् ३७, 'समिई ' समितिः-सम्यक्प्रवृत्तिः, तदूपत्वात् ३८, ‘सील' शीलं-समाधिः, तद्धेतुत्वात् ३९, संजमोत्ति य ' संयमइति च-संयमः-हिंसा निवृत्तिस्तद्धेतुत्वात् ४०, 'सीलघरो' शोलगृहम्-शीलं-सदाचारो, यद्वा ब्रह्माचर्य, तस्य गृहं= की रक्षा करने का ही इसका स्वभाव है इसलिये इसका नाम रक्षा है ३३ । इसकी आराधना करते२ ही जीव सिद्धों के आवास में सिद्धिगति नामक स्थान विशेष में निवास करने लग जाता है इसलिये इसका नाम (सिद्धावासो) सिद्धावास है ३४। (अणासवो) कमों के आगमन द्वार की यह निरोधिका है इसलिये इसका नाम अनास्रव है ३५। ( केवलोणं ठाणं ) केवलज्ञानी-इसका आश्रय करते हैं इसलिये इसका नाम केवलि स्थान है। अर्थात् जो अहिंसक होता है उसे ही केवल ज्ञान उत्पन्न होता हैं ३६ । अहिंसक जीव को कहीं से भी किसी भी प्रकार के उपद्रव प्राप्त नहीं हो सकते हैं इसलिये उपद्रवर्जित होने से इसका नाम ( सीव ) शिव है ३७। सम्यक प्रवृत्ति का नाम समिति है. यह अहिंसा समितिरूप होती हैं इसलिये इसका नाम (समिई ) समिति है ३८ । शील-समाधि-का यह कारण होती है इसलिये इसका नाम (सील ) शील है ३९ । (संजमोत्ति य) संयम-हिंसा की निवृत्ति होनारूप संयम की यह साधक है इसलिये इसका नाम संयम है। ४० शील-सदाचार अथवा ब्रह्मचर्यकी यह स्थान है इसलिये इसका नाम કરતાં કરતાં જ જીવ સિદ્ધોના આવાસમાં સિદ્ધિગતિ નામના સ્થાનમાં નિવાસ ४२॥ सागे छ तेथी तेनुं नाम “ सिद्धावासो" सिद्धावास छ. (3४) “ अणासवो” भना मागमन द्वा२नी ते निरोध छ, तेथी तेनु नाम सनाखव छ. (३५) “ केवलीण ठाणं " पणज्ञानी तेनो माश्रय छ तेथा तेनुं नाम वणी. સ્થાન છે એટલે કે જે અહિંસક હોય છે તેને જ કેવળજ્ઞાન પ્રાપ્ત થાય છે. (૩૬) અહિંસક જીવને કેઈ પણ સ્થળેથી કઈ પણ પ્રકારના ઉપદ્રવ થઈ शता नथी. तेथी पद्रव २डित डावाथी तेनुं नाम “सिव" शिव छे. (३७) સમ્યક પ્રવૃત્તિને સમિતિ કહે છે. આ અહિંસા સમિતિરૂપ હોય છે તેથી તેને "समिई " समिति छ. (३८) शीत-समाधिना ते १२५३५ डीय छ तेथी तेनु नाम “सील" शीत छ. (36) “संजमोत्तिय" सयम-डिसाथी निवृत्त ५। ३५ सयभनी ते सा५४ छे, तेथी तेनु नाम संयम छे. (४०) शाद सहाया२ अथवा ब्रह्मायन ते स्थान छ तेथी तेनुं नाम " सीलघरो"
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર