Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्नव्याकरणसूत्रे
इत्येवमूचुस्तीर्थङ्ककरगणधरादयः, तथाः' कहेसिय' कथितवांश्च' नायकुलनंदणी' ज्ञाककुलनन्दनः ' महप्पा ' महात्मा ' जिणो ' जिन: ' वीरवरनामधेज्जो ' वीरवरनामधेयः । ' परिग्गहस्स' परिग्रहस्य ' फलविवागं ' फलविपाकम् । ' एसो सो परिग्गहो पंचमो ' एष सः पूर्वोक्तप्रकारः परिग्रहः पञ्चमः 'नियमा' नियमाद् विज्ञेयः कथंभूतो विज्ञेयः १ इत्याह- नाणामणिकणगरयणमहरिह०' नानामणिकनकरत्नमहार्ह, ' जाव' यावत् अत्र यावच्छन्दादध्ययनप्रारंभपाठः, 'हिययदइओ' इत्यन्तं यावत्संग्राह्यः, 'इमस्स' अस्य प्रत्यक्षीभूतस्य ' मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स ' मोक्षवरमुक्तिमार्गस्य ' फलिहभूओ ' परिघभूतोऽर्गलासदृशोऽस्ति ||१|| ॥ चरमम् अधर्मद्वारं समाप्तम् ॥
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है | ( ति एवमाहंसु ) ऐसा इस प्रकार का कथन तीर्थंकर एवं गणधरादिक देवों का है । तथा उन्हीं के कथनानुसार ( नायकुलनंदणो ) ज्ञातकुलनंदन (महप्पा ) महापुरुष ( जिणो वीर वर नामधेज्जो ) प्रभु जिनेन्द्र देवने भी ( परिग्गहस्स ) परिग्रह का ( फलविवागं ) ऐसा ही फलरूप विपाक ( कहेसिय) कहा है । ( एसो सो ) इस तरह यह (परिगहपंचमो ) पंचम परिग्रह ( नियमा ) नियम से ( नाणामणिकणग रयणमहरिह० जाव ) नानामणि कनक रत्न आदिरूप है। यहां पर यावत् शब्द से इस द्वार को प्रारंभ करते समय जो पाठ ' हिययदइओ' तक इस परिग्रहरूप वृक्ष के विषय में कहा है वह सब गृहीत किया गय। है । यह परिग्रह ( इमस्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स ) इस मोक्ष का जो निर्लोभतारूप श्रेष्ठ मार्ग है उसका ( फलिहभूओ ) अर्गला रूप है || सू०५ ॥ ॥ परिग्रह नामका यह अन्तिमद्वार समाप्त हुआ ॥
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तीर्थ १। भने गणुघर आदि देवानुं छे. तथा तेमना उथन प्रमाणे ४ " नायकुलनंदणो " ज्ञात नहन " महया " महापुरुष, “ जीणा - वीरवरनामधेज्जो " પ્રભુ જિનેન્દ્ર દેવે પણ परिग्गहस्स " परिवहन। “ फलविवागं " मेवा ४ इविषा “ केहसिय" उडेस छे. " एसो सो " मा पंचमो " पांय परिग्रह आसव 66 नियमा " नियभथी रयण महरिह० जाव " विविध भणि, उनऊ, रत्न आदि ३५ छे. माहीं यावत् शब्दथी या द्वारना प्रारले " हिययदइओ " सुधीनो ने पाठ परिग्रह३५ वृक्षना
रीते ते " परिग्गहो " नाणामणिकणग
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વિષયમાં કહેવામાં આવેલ છે તે આખા પાઠ ગ્રહણ કરાયેલ છે. આ પરિગ્રહ इस मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स " भोक्षनो ने निर्दोलिता श्रेष्ठ भार्ग छे. तेना " फलिह भूओ " यागजिया समान हे ॥ सू-य ॥
|| પરિગ્રહ નામનું આ છેવટનું દ્વાર સ પૂર્ણ થયું. ॥
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર