Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्नव्याकरणसूत्रे ' अन्नेसु एवमाइएसु ' बहूसुकारणसएमु ' अन्येसु एवमादिकेषु बहुषु कारणश तेषु-शिल्पादिभिन्नेषु परिग्रहोपादानशतेषु 'जावजीवं' यावज्जीवं ' नडिज्जए' निमज्जते-निमग्नी भवति । तथा 'संचिणंति मंदबुद्धी' संचिन्वन्ति मन्दबुद्धयः परिग्रहम् । तथा ' परिग्रहस्सेव य अट्ठाए करेंति ' परिग्रहस्यैव च अर्थाय कुर्वन्ति, 'पाणाणवहकरणं ' प्राणानां वधकरम्=परिग्रहं कर्तुं प्राणिनां वधं कुर्वन्तीत्यर्थः, तथा--'अलियनियडिसाइसंपओगे' अलीकनिकृतिसाति संप्रयोगान् , अधिकम्-असत्यम् , निकृतिः-मधुरवचनादिभिराश्वास्य वचनम् , सातिसंप्रयोगः-विगुणद्रव्येषु द्रव्यान्तर संयोज्य प्रशस्तगुणभ्रमोत्पादनम् , एतेषां द्वन्द्वः, तांस्तथोक्तान् , 'परदव्व अमिज्झं' परद्रव्याभिध्याम्-परद्रव्येषु परधनेषु अनेकविध प्रयोगों को भी (सिक्खए ) सीखते हैं। (अन्नेतु य एवमाइएसु) तथा इसी तरह के और भी इन शिल्पादिकों से भिन्न अनेक (बहुकारणसएसु) परिग्रह के सैंकड़ों कारणों में परिग्रह को अर्जन करने की लालसावाला प्राणी ( जावजीवं ) जीवन पर्यंत (नडिजए) मग्न होता रहता है। (संचिणंति मंदबुद्धी ) इसलिये इस कथन से यही निष्कर्ष निकलता है कि जो मंदबुद्धि होते हैं वे ही उत्कट परिग्रह का संचय करते हैं । तथा (परिग्गहस्सेव य अट्टाए पाणाणवहकरणं करेंति ) परिग्रह के निमित्त ही प्राणी प्राणियों के प्राणों को वध करते हैं तथा (अलियनियडि-साइ संपओगे ) इस परिग्रह को लक्ष्य करके ही वे (अलियं) असत्यभाषण करते हैं (नियडि) मधुर २ भाषणों से दूसरों को विश्वास दिलाकर फिर उन्हें ठगते हैं, (साइसंपओगे ) ओछी कीमत की वस्तु में बहमूल्यवाली वस्तु को मिलाकर उसे अधिक मूल्यवाली बनादिया “ विविहाओ जोगजुजणाओ" ||४२९४ मा भने विध प्रयोग पY शीमे " अन्नेसु य एवमाइएसु" तथा ते जामे सिवायना से प्रा२ना भीत भने “वहुकारणसएसु” परिहाना से४31 मा परिअडने प्रात ४२पानी सास व व जावजीवं" मान " नडिजए" टीन २९ छ. “संचिणंति मंदबुद्धी" तथा मा ४थनथी ४ इतित थाय छ तथा કે જે લેકે મંદજીદ્ધિવાળા હોય છે તેઓ જ ઉત્કટ પરિગ્રહને સંચય કરે છે. तथा “परिग्गहस्सेव य अदाए पाणाणवहकरणं करें ति" परिवहन निमित्त र आणी अथ। प्राणीमाना प्राणने। १५ ४२ छ, तथा “ अलिय-नियडि-साइ संपओगे" ॥ परिअडने सक्ष्य ४ीने तसा “ अलिय" असत्य माले छ. नियडि" भी भी क्यनाथी भीम पोताना प्रत्ये विश्वास मा. पान पाथी तेने जो छ. “ साइसंपओगे" माछी श्रीमतनी वस्तुनुं मारे श्रीमतनी वस्तु साथे मिश्रण परीने तेनो पधारे मा 641 छ, “परदव्व
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર