Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्नव्याकरणसूत्रे 'महोरग' महोरगाः 'गंधव्या' गन्धर्वाश्च, एतेषां द्वन्द्वः । एतेऽष्टौ व्यन्तरभेदाः एते हि तिरियवासी' तिर्यग्वासिनः-मनुष्यलोकवासिनः, तथा 'पंचविहा' पञ्चविधा=चन्द्रसूर्य-ग्रह-नक्षत्र-तारारूपाः, 'जोइसियाय' ज्योतिषिकाश्च देवाः, ते के ? इत्याह-'बहस्सइचंदमूरसुक्कसणिच्छरा' बृहस्पतिचन्द्रमूरशुक्रशनैश्चराः, तथा 'राहुधूमकेउबुहा य' राहुधूमकेतुबुधाश्च तथा-'अंगारका य'अङ्गारकश्च 'मगलना मको गृहविशेष ' कीदृशः ? एषः ? इत्याह-' तत्ततवणिज्जकणगवण्णा' तप्ततरक्खस-किंनर-किंपुरिस-महोरग-गंधव्वा य तिरियवासी) अब सूत्रकार उन देवनिकायों को नामनिर्देश पूर्वक प्रकट करते हैं, उनमें वे सब से पहिले भवनपतियों के भेदों के नामों को कहते हैं-असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, विद्युत्कुमार, ज्वलन-अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिशाकुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार ये दश प्रकारके भवनपति हैं। तथा अप्रज्ञप्तिक, पञ्चप्रज्ञप्तिक, ऋषिवादिक, भूतवादि कंदित, महानंदित कूष्मांड, पतंगदेव, आठप्रकार के ये व्यन्तर निकाय के देव है। तथा पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व ये आठ व्यन्तर देवों के भेद हैं । ये ब्यन्तरदेवतिर्यग्लोक-मनुष्यलोक वासी हैं। तथा- (पंचविहा जोइसियाय देवा बहस्सइ चंदसूरसुक्कसनिच्छरा) चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र एवं तारा ये पांच प्रकार के ज्योतिषिक देव हैं। इन में जो ग्रह जाती के देव हैं उनके ये वृहस्पति चंद्र, सूर्य, शुक्र, शनैश्वर तथा ( राहुधूमकेउ बुहा य अंगारगा य ) राहु, धूम,केतु, बुध महाकंदिय-कुहण्ड-पयंग-देवा पिसायभूय-जक्ख-रक्खस-किनर-किंपरिस-महोरग गंधव्वाय तिरियवासी ” हुवे सूत्रा२ ते व नियोने नामना निशसडित પ્રગટ કરે છે. તેમનામાંથી સૌથી પહેલા ભવનપતિના ભેદોનાં નામે બતાવે छ-मसु२शुभा२, नागभा२, सुपमा२, विधुशुभा२. पसनमनिभा२, દ્વિીપકુમારા ઉદધિકુમાર, દિશાકુમાર, વાયુકુમાર અને સ્વનિતકુમાર, એ દસ પ્રકારના ભવનપતિ છે. તથા અપ્રજ્ઞમિક, પંચપ્રજ્ઞપ્તિક, ઋષિવાદિક, ભૂતવાદિક, કંદિત, મહાકંદિત, કૂષ્માંડ, અને પતંગદેવ, એ આઠ પ્રકારના વ્યન્તર નિકાય हे। छ. तथा पिशाय, भूत, यक्ष, राक्षस, छिन्न२, पुरुष, मडा२॥ मने आध, मे २मा व्यन्त२व तिय -मनुष्यतो पासी छ. तथा “ पंचविहाजोइसियाय देवा वहस्सइ चंद सूर सुक्कसनिच्छरा” यन्द्र, सूर्यः, अड, नक्षत्र અને તારા એ પાંચ પ્રકારના તિષિક દેવ છેતેમાં ગ્રહ જાતિના જે દેવે छ तेमना गृहस्पति यद्र, सूर्य, शु४, शनि तथा “रा हुधुमकेउ-बुहा य अगा
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર