Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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કર૮
प्रश्नव्याकरणसूत्रे हस्तरेखादीनि सामुद्रिकशास्त्रोक्तानि, तथा व्यञ्जनानि च-मपतिलकादीनि गुणाः= शौर्यादयस्तैरुपेताः युक्ताः, 'माणुम्माणपमाणपडिपुण्णा सुजायसव्वंगसुंदरंगा' मानोन्मानप्रमाणप्रतिपूर्णसुजातसर्वाङ्गसुन्दराङ्गाः = मानोन्मानः प्रमाणैः = तत्र मानं-शरीरभारः, उन्मानं-शरीरोच्छ्रयः, प्रमाण-समुचितशरीरावयववत्त्वं, तैः प्रतिपूर्णानि-सुजातानि-सुष्टुतया समुत्पन्नानि सर्वाण्यङ्गानि अवयवा यस्मिन् तदेवं विधं मुन्दरमङ्ग-शरीरं येषां ते तथा सकलसुलक्षणलक्षितसुपुष्टसप्रमाणसुन्दरशरीरा इत्यर्थः 'ससिसोमागारा' शशिसौम्याकारा-चन्द्र-वत्सौम्याकृतिसम्पन्नाः, 'कंता' ‘कान्ताः कमनीयाः ‘पियदसणा' प्रियदर्शनाः-मनोजरूपाः ‘अमरिसणा' अमर्षणः = अत्याचाराऽसहिष्णवः । पयंडदंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा' स्नेहशील होते हैं (सरण्णा) शरणागतकी रक्षा करते हैं ( लक्खणवंजण गुणोववेया) जो सामुद्रिक शास्त्रोक्त रेखा आदि शुभचिन्होंसे, तथा मषा तिलक आदि शुभ व्यंजनोंसे एवं शौर्यादिक सद्गुणांसे युक्त होते हैं माणुम्माणपमाणपडिपुण्णा सुजाय सव्वंगसुंदरंगा) शरीर भाररूप मानसे, शरीरकी ऊँचाई रूप उन्मानसे तथा समुचित शरीरावयवरूप प्रमाणसे, प्रतिपूर्ण, एवं सुन्दर रूपवाले समस्त अवयव जिसमें हैं ऐसे सुहावने शरीर से जो युक्त होते हैं अर्थात् उनका शरीर समस्त सुलक्षणों से युक्त, सुपुष्ट और प्रमाणोपेत होने से पूर्ण सुन्दर होता है, ( ससिसोमागारा ) जिनकी आकृती चंद्रमा के जैसी सौम्य होती है, ( कंता) जो सबके लिये बड़े प्रिय लगते हैं (पियदंसणा ) उनका दर्शन मन को बहुत अधिक आहाद जनक होता है ( अमरिसणा ) जो अत्याचार को सहना बहुत ही बुरा मानते हैं-अर्थात्-जो अत्याचार को सहन नहीं २ २क्षा ४२नार डाय , “ लक्खणवंजणगुणोववेया" २२सामुद्रि शास्त्रोत રેખા આદિ શુભ ચિન્હોથી તથા અષા તિલક આદિ શુભ વ્યંજનોથી અને शीहि सगुणेथी युत डाय छ, “ माणुम्माणपमाण पडिपुन्नासुजायसव्वगसुदरगा" शरीरमा२ ३५ मानथी, शरी२नी या ३५ उन्मानथी, तथा सप्रमाण શરીરવયવરૂપ પ્રમાણથી, પ્રતિપૂર્ણ અને સુંદર શરીરથી જે યુક્ત છે, એટલે કે તેમનું શરીર સમસ્ત સુલક્ષણ વાળુ, સુપુષ્ટ અને સપ્રમાણ હોવાથી સંપૂર્ણ शते २ डोय छे, “ससिसोमागारा” भनी माति यन्द्रमानावी सौम्य होय छ, “ कंता" सौने ! १४ प्रिय दो छ. “ पियदसणा" भनi शन भनने अत्यंत मानहाय डोय छे. “ अमरिसणा" हे सत्यायारोन સહન કરે તે બહુજ ખરાબ ગણે છે એટલે કે અત્યાચારને સહન કરી શક્તા.
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર