Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्रव्याकरणसूत्रे ताणि ' निक्षिप्तानि स्थापितानि 'धणधण्णदव्वजायानि ' धनधान्यद्रव्यजातानिधनधान्यसुवर्णरजतादीनि हरन्ति ' के इत्याह -ये 'परदव्याहिं ' परद्रव्यैः 'अविरया' अविरताः अनिवृत्ताः= निग्घिणमई ' निघृणमतयः करुणारहिताः 'तहेव' तथैव-पूर्वोक्तप्रकारेण · केई' केऽपि ' अदिण्णादाणं' अदत्तादानं स्वाम्यादिभिरवितीर्ण धनं गवेषमाणाः अन्वेषमाणाः कालाकालेषु कालेषु सकललोकव्यवहारोचितकालेषु दिनादिलक्षणेषु तथा अकालेषु अनुचितकालेषु अर्धरात्रादिलक्षणेषु च सञ्चरन्तः भ्रमन्तोऽदत्तग्राहिणः, 'चितगपज्जलियसरसदरदट्टकड्डियकलेवरे' चितकप्रज्वलितसरसदरदग्धकृष्टकलेवरे-चितकेषु-चितासु, कीदृशेषु ? प्रज्वलि
हुई (धणधण्णव्वजायाणि ) धन, धान्य, सुवर्ण रजत आदि संपत्ति को ( हरंति ) हर लिया करते हैं । ( परवाहि अविरया) क्यों कि ये लोग परके द्रव्य को चुराने रूप कृत्य से विरक्त नहीं होते हैं-" दूसरों का द्रव्य विना पूछे नहीं लूंगा" इस प्रकार का नियम इन्हें नहीं होता है। (निग्घिणमई ) ये सर्वथा दयाभाव से रहित मति वाले होते हैं। (तहेव केइ ) इसी तरह कितनेक व्यक्ति ( अदिण्णादाण ) स्वामी आदि द्वारा वितीर्ण नहीं किये हुए धन धन्यादि की (गवेसमाणा) गवेषणा करते हुए ( कालाकालेसु ) समस्त लोक व्यवहार के उचित दिन आदि रूपकाल में तथा अर्धरात्रि आदि रूप अकाल-अनुचित काल में (संच. रंता ) इधर उधर घूमते हुए श्मशान शून्यगृह आदि में भटकते रहते हैं, यह सम्बन्ध यहां जोड़ लेना चाहिये । वह श्मशान आदि कैसे हैं सो वर्णन करते हैं-जहां (चितगपज्जलिय ) प्रज्वलित चिताओं में
जायाणि" धन, धान्य, सोनु, ३५, माहि सपत्तिने " हर ति" ५५ तमे डश छ. " परदव्वाहि अविरया" १२५ ते बा ५२धनने यारवाना કૃત્યથી વિરક્ત હોતા નથી, “બીજાનુ દ્રવ્ય તેને પૂછયા વિના નહીં લઉં” मेवा भने नियम हाती नथी. “ निग्घिणमई" या सहा यामाथी २डित भतिवार डाय छे. " तहेव केइ" मे ४ प्रमाणे eus a “ अदिण्णादाण" भोलि मह द्वा२म न ४२वामां मावेस धन धान्याहिनी “गवेसमाणा" शोध ४२di " कालाकालेसु" मा सो साथै व्यवहार भोटेना हिवस माहि योग्य समय अथवा मध्य रात्रि माह 24-मयेय समये “संचरता" આમ તેમ શ્મશાન, શૂન્યગૃહ-ખાલીઘર-આદિમાં ભટક્યા કરે છે. તે મશાન આદિ वालय छ, तेनुं वर्णन ४२ छ-"चितगपज्जलिय" सजाती यितामामा “सरस"
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર