Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुदर्शिनी टीका अ०३सू०१७ अदत्तादायिनः यत्फलं प्राप्नुवन्ति तन्निरूपणम् ३५३
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'बंधिऊपासु कड्डिया ' पादेषु बद्ध्वा कृष्टाः = रज्ज्वादिभिर्हस्तपादयन्धनेन कृष्टाः = बहिर्निष्कासिता ' खाइयाए छूढा ' खातायां छूढाः क्षिप्ताः = गर्ते चाण्डालादिभिः प्रक्षिप्ताः क्रियन्ते । 'तत्थय' तत्र च विगणयसियालकोलमज्जारखंदसंडास तुंडप क्खिगण विविहमुहसयविलुत्त गता वृक शुनक श्रृगाल" - - कोल - मार्जार वृन्द- संडास तुण्डपक्षिगणविविधमुखशतविलुप्तगात्राः, तत्र 'विग ' टकाः = arret ' इति भाषा प्रसिद्धाः, 'सुणय' शुनकाः = कक्कुराः 'सियाल ' शृंगाला: कोला : सूकराः मार्जाराः, तेषां वृन्दं समूहस्तेन तथा संदेशतुण्डैः = संदेशवाक्ष्णमुखतुण्डे :- पक्षिगणानां काकादीनां विविधमुखशतैश्च विलुमानि निःशेषेण खादितत्वाद अलक्षितानि गात्राणि येषां ते तथा ककुकुर - शुगालादिभिः विविधपक्षिगणैश्च भक्षितशरीराः ' कयविहंगा ' कृतविभङ्गाः= कादिभिरेव खण्डशः कृताः । तथा ' केइ ' केचित् मृतेम्पोऽन्ये ' किमि - मर जाते हैं। बाद में (बंधिऊणपासु ) रज्जु आदि से पैर बांधकर ( इन्हें चांडाल आदि जन ( कडिया) बाहर निकाल कर (खाइयाए छूढा) किसी खड्डे में ले जाकर पटक देते हैं । (तत्थ य) वहां फिर उनके कलेवरों को (विगणयसियालकोलमज्जार बंद संडा सतुंड पक्खिगणविविहमुहस्य विलुत्तगत्ता ) ( विग ) वृक-वगेरे, (सुणय) शुनक कुत्ते, ( सियाल ) श्रगाल, ( कोल) सुअर, ( मज्जार बंद ) मार्जार-वन बिलाव आदि हिंसक जानवरों के ( वृन्द- समूह ) एवं ( संडासतुंडपखगण ) संडासी के जैसे तीक्ष्ण तुण्डवाले गृद्ध आदि पक्षियों के समूह ( विविहमुहस्य ) नाना प्रकार के सैकडों मुखों से (विलुत्तगत्ता) तहस नहस कर डालते हैं जिससे 'यह शरीर किस का है' यह नहीं जाना जाता । (कविहंगा) इस प्रकार वृकादिक जानवरों एवं विविधपक्षिगणों से कितने इन अभागों के शरीर खाया जाकर खंड २ कर ऊपाणएसु ” होरडां व्याहिथी पत्र मांधीने थंडास आदि सोडी तेभने “ कड्डिया બહાર કાઢીને खाइयाए छूटा ”” કોઇ ખાડામાં લઈ જઈને ફેંકી દે છે. 66 तत्थ य " त्यां तेमनां मुहाने विगणयसियालकालमजारबंद संडासतुंडपक्खिगणविविह मुहस्य विलुत्तगत्ता " विग १३, सुणय શુનકईतरां, " सियाल " शियाण, " कोल " सुअर, " मज्जारवंद " भर्भर -भंगसी मिवाडा, आदि हिंसा पशुमोनो समूह भने “ संडासतु'ड पक्खिगण " साणुसी देवी तीक्ष्णु यांयवाजा गीध वगेरे पक्षीगोनो समूह " विविहमुहसय " विविध प्रहारना से | भुणो द्वारा विलुगत्ता " डोली जाय छे, तेथी · मा अनुं शरीर छे" ते लगी शातु नथी. ' कयविहंगा " मा रीते વરૂ આદિ જાનવરો તથા વિવિધ પક્ષીગણા દ્વારા તે કમભાગીઓનાં શરીર
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શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર
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