Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुर्शिनी टीका अ० ३ सू० १२ तस्करस्वरूपनिरूपणम्
३१५ टीका-'अयसकरा' अयशस्कराः अकीर्तिमन्तः भयङ्कराः ' तकरा' तस्कराः अदत्तग्राहिणः चौरा इत्यर्थः, 'अज्ज' अद्य-अस्मिन् दिवसे ' कस्स' कस्य धनिनः इति एवं विधं यन्मनसि चिन्तितं तत् ‘दव्वं ' द्रव्यं धनं हरामः= चोरयाम इति एवं प्रकारं 'गुज्झं ' गुह्य-गुप्तं 'समामंतणं ' समामन्त्रण-विचारणां 'काति' कुर्वन्ति । तथा 'बहुयस्सजणस्स' बहुकस्य जनस्य 'कज्झकरणेसु' कार्यकारणेसु कर्मानुष्ठानेषु 'विग्धकरा' विघ्नकराः विघ्नोत्पादकाः ‘मत्तप्प. मत्तपसुत्तवीसस्थछिद्दघाई' मत्तममत्तप्रसुप्तविश्वस्तछिद्रघातिनः तत्र मद्यपानादिना. मत्तान् प्रमत्तान् प्रकर्षेण मत्तान् प्रसुप्ता विश्वस्तांश्च छिद्रेण-छिद्रं प्राप्य घ्नन्ति
फिर वे कैसे होते हैं सो कहते हैं-' अयसकरा' इत्यादि।
टीकार्थ-(अयस करा) इनकी दुनिया में अकीत्ति फैल जाती है ये सब जगह बुराई से विख्यात हो जाते हैं, ( भयंकरा) इनके नाम श्रवण से भी लोगों के हृदयों में भय का संचार हो जाता है। इस तरह के ये (तकरा ) अदत्तग्राही-चोर ( अज्ज कस्स दव्वं हरामो त्ति) " आज किस धनी का मन धारा द्रव्य हरण करना चाहिये " इस प्रकार की (गुज्झं ) गुप्त ( समामंतणं) विचारणा ( करेंति ) किया करते हैं। तथा (बहुयस्स जणस्स ) अनेक मनुष्यों के ( कज़्जकरणेसु) कार्यों में ये (विग्घकरा) विघ्नोत्पादक हुआ करते हैं । (मत्त-प्पमत्त. पसुत्त वीसथछिद्दघाई ) (मत्तप्पमत्त ) मद्यपानादिक से मत्त तथा प्रमत्त बने हुए व्यक्तियों को ( पसुत्त) सोये हए मनुष्यों को. एवं (वीसत्थ) अपने ऊपर विश्वास करने वाले प्राणियों को ये (छिद्दघाई )
तेशी व डाय ते नु वधु qणुन ४२ छ—“ अयसकरा" ध्याह.
Astथ-"अयसकरा" भी दुनियामा तेमनी म५४ीति साय छे. तस। त्योथी ४२४ स्थणे ५४ाय छ, "भय करा" तमनु नाम सामजीने ५५ सोनाहिसमा लय पे थाय छे. मेवात " तकरा” यार “ अज्जकस्स दव्वं हरामो त्ति” “ मारे ४या पनि तुं धन सेन” से प्र. २नी “ गुज्झं " शुस “ समामंतणं " पियार! " करेंति" या ४२ छ. तथा "बहुयस्स जणस्स" भने भाणसानi “कज्जकरणेसु" भात विग्धकरा" विनxii थया ४३ छ. “मत्त-प्पमत्त-पसुत्तवीसत्थछिद्दधाई” “ मत्तपमत्त" ॥३
मालपान भत्त तथा प्रमत्त मनसा सोने “ पसुत्त" सोहीन, भने “वोसत्थ " पोताना ५२ विश्वास भूना२ सोअन तो “ छिद्दधाई "
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર