Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुदर्शिनीटीका अ०३ सू० १५ कीदृशाश्चौराः कीदृशं फलं लभन्ते ? ३३५ अनेकमार्गसम्मेलनस्थानं महापथः राजमार्गः पन्थाः सामान्यमार्गस्तेषु त्वरित= शीघ्रमुद्घाटिताः जनसमक्षे प्रदर्शिताः ' इमे महाचौरा : शीघ्रमद्यैववध्याः' इति जनसमक्षे प्रदर्शिताः, कथं भूताः ? इत्याह—'वेत्त-दंड-लउड-कट्टलेछु-पत्थरपणालिय-पणोलियमुटिलत्तपायपण्हि-जाणुकोप्परप्पहारसंभग्गमहियगत्ता' वेत्रदण्ड- लगुट- काष्ठ-प्रस्तर- प्रणाली-प्रणोदी मुष्टिलत्ता-पादपाणि-जानुकूर्पर-प्रहारसंभग्नमथितगात्राः, तत्र 'वेत्तदंड ' वेत्रदण्डः 'लउड ' लकुट: यष्टिः 'कट्ठ' काष्ठं च-प्रतीतं 'लेट्ठ' लेष्टुः मृत्तिका खण्डं ' पत्थर' प्रस्तरश्च-पाषाणः 'पणालिय' प्रणाली अकृष्टा, नाली पुरुषप्रमाणदीर्घयष्टिः ‘पणोली' प्रणोदी =ताडनदण्डो, 'मुट्ठी' मुष्टिः। इति भाषा प्रसिद्धः ' लत्ता' पादः 'लात' इति भाषा प्रसिद्धः, ‘पादपण्हि' पादपाणिः=वरणपश्चाद्भागः ‘एडी' इति भाषा प्रसिद्धः, जानुः='घुटना' इति प्रसिद्धः 'कोप्पर' कूपरश्च भुजमध्यग्रन्थिः 'ऋणि' इति भाषा प्रसिद्धः, एतेषां प्रहारैः 'संभग्ग' संभग्नानि त्रुटितानि, 'महिय' मथितानि च-सम्मर्दितानि 'गत्त' गात्राणि शरीराणि येषां ते तथा नाम चतुष्क, जहां अनेक मार्ग आकर मिले हों उसका नाम चत्वर, राजमार्ग का नाम महापथ एवं सामान्यमार्ग का नाम पथ है । (वेत्तदंड लउड-कट्ठ-लठ्ठ-पत्थर-पणालिय-पणोलिय मुहि-लत्त-पायू-पण्हि-जाणू कोप्परप्पहारसंभग्गमथितगत्ता) राजपुरुष इन चोरों को (वेत्तदंड) वेतों के डंडों की मार से, (लउड ) लकडियों की मार से, ( कट्ठ) काष्टों की मार से, (लेटु ) मृत्तिकाके खंडोंकी मार से, (पत्थर) पत्थरों की मार से, (पणलिय) पुरुषप्रमाणदीर्घ यष्टियों की मार से, (पणोलिय) प्रणोली-ताडन दंडों की मार से, (मुट्ठि) मुट्टियों-मुक्कों की मार से, ( लत्त) लातों की मार से, (पायपष्हि ) एडियों की मार से, (जाणु) घुटनों की मार से तथा कोहनियों की मार से हड्डी पसली सब एक कर देते हैं-मतलब ये कि वे इन्हें जो इनके हाथ में आ जाता है उसी से छे. २२/भाने महा५५ भने सामान्य भने ५५ ४ छ. “ बेत्तदंड-लउड -कट्ठ ले?-पत्थर-पणालिय पणोलिय-मुट्ठि-लत्त-पायू-पण्हि-जाण-कोप्पर-प्पहारसंभग्गमथितगत्ता " २०४पुरुषो ने याराने नेतरनी सोटीमाथी, साडीमाथी aliथी, मोटीन शंथी पथ्थराथी, “पणलिय" पुरुष मापनी साथी, " पणोलिय” साथी, भुटासाथी, सातोथी, मेथी, घुटगुथी तथा अाथी સારી રીતે મારે છે, એટલે કે તેમના હાથમાં જે સાધન આવે તેનાથી તે सो तेभने म ८ म२रीते भा२ मारे छे. “ अद्वारसकम्मकारिणो" ते
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર